खुलकर जियो खिलने दो यह जीवन।
ज्यों खिलता है हरदम फूलों का उपवन।।
जब गिरीवर टकराते हैं भयंकर अग्नि पैदा होती है।
मेहनत करने वालों की हर मंजिल बात जोहती है ||
जीवन एक अनमोल रतन है पहचानिए ।
इससे मुफ्त में कमाना खुद की हत्या है जानिए ।।
आप से मेरा एक अनुरोध है।
निकम्मेपन के प्रति एक प्रतिशोध है।।
कर्म को अपना मित्र बनाइए।
मनचाहा मनपसंद फल पाइए।।
यह काया है अनमोल इसे ना मुर्दा बनाओ।
रेंगना छोड़ चलना सीखो और सफलता पाओ ।।
एक प्रार्थना हरि से मेरे मन में निकम्मापन न आए|
सदा ही मेहनत और कर्मठता ही भाए।।
ज्यों खिलता है हरदम फूलों का उपवन।।
जब गिरीवर टकराते हैं भयंकर अग्नि पैदा होती है।
मेहनत करने वालों की हर मंजिल बात जोहती है ||
जीवन एक अनमोल रतन है पहचानिए ।
इससे मुफ्त में कमाना खुद की हत्या है जानिए ।।
आप से मेरा एक अनुरोध है।
निकम्मेपन के प्रति एक प्रतिशोध है।।
कर्म को अपना मित्र बनाइए।
मनचाहा मनपसंद फल पाइए।।
यह काया है अनमोल इसे ना मुर्दा बनाओ।
रेंगना छोड़ चलना सीखो और सफलता पाओ ।।
एक प्रार्थना हरि से मेरे मन में निकम्मापन न आए|
सदा ही मेहनत और कर्मठता ही भाए।।
दिल्ली बिडला मंदिर की नीँव रखी जा रही थी. पंडित मदन मोहन मालवीय ने नीँव का पत्थर रखने वाले राजा के लिए जिन शर्तों की घोषणा की गयी उन शर्तों पर पूरे भारत का केवल एक ही राजा पूरा उतरा था, और वह था जाट राजा उदय भान सिंह
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