Tuesday, June 25, 2019

जाटों का असली इतिहास

यह है जाटों का असल इतिहास, जो इतिहासकारों ने लिखा ही नहीं!
नई दिल्ली।
देश की एक महान जाती का इतिहास लिखा ही नहीं गया। यदि इतिहास को ईमानदारी से लिखा जाता तो जाट जाती के बिना भारत, पाकिस्तान, ईरान, अफगानिस्तान सहित कई देशों के इतिहास की किताबों में जाटों का ही गुणगान होगा। एक कहावत है कि 'अंग्रेजों के राज में उनका सूर्यास्त नहीं हुआ करता था'। यह सच है कि उनके अधीन आने वाले देशों में हमेशा कहीं ना कहीं दिन रहता था। इतिहास में अंग्रेजों के खिलाफ महज प्लासी की लड़ाई का उल्लेख किया गया है, जबकि यह लड़ाई कभी लड़ी ही नहीं गई। इस लड़ाई के बीच में ही लेन-देन शुरू हो गया था। आजादी के लिए सन् 1857 के गदर का इतिहास तो पूरा ही मंगल पाण्डे, नाना साहिब, टीपू सुलतान, तात्या टोपे तथा रानी लक्ष्मीबाई के नाम पर घुमाकर छोड़ा गया है।

डाबड़ा कांड के शहीद

#अमर_शहीदों_को_नमन्                                           13मार्च 1947का दिन था।जगह थी नागौर जिले की डीडवाना तहसील में गांव डाबड़ा!एक कि...