Friday, October 26, 2018

कुम्भाराम जी आर्य KUMBHARAM JI ARYA

किसान वर्ग के शीर्षस्थ नेता
**********************
' ज़मीन कींकी?'
' बावै बींकी।'
जागीरी ज़ुल्म के दौर में ऐसे सुदृढ़ स्वप्नद्रष्टा और फिर स्वाधीनता संग्राम के बाद सत्ता के गलियारे में अपनी धमक के बलबूते पर इस सँजोए सपने को प्राथमिकता के आधार पर साकार कर देने वाले राजस्थान के किसान वर्ग के मसीहा चौधरी कुम्भाराम आर्य को उनकी पुण्यतिथि 26 अक्टूबर पर भावभीनी श्रद्धांजलि!!
स्वाधीनता से पूर्व राजस्थान में सदियों से राजशाही, सामंती और साम्राज्यवादी व्यवस्था का तिहरा गठजोड़ विद्यमान था। 'भू स्वामियों के एक श्रेणी तंत्र ने संपूर्ण सामाजिक, राजनीतिक एवं आर्थिक ढांचे पर आधिपत्य स्थापित कर रखा था, जिसमें स्वायत्तशासी देशी रियासतों के राजाओं से लेकर बड़ी-बड़ी जागीरों के मालिक तक सम्मिलित थे।' जागीरदारों के प्रश्रय में पोषित अनेक छोटे बिचौलिए भी इस व्यवस्था के उच्चत्तर सोपानों पर प्रतिष्ठित थे।

Sunday, October 21, 2018

इस जाट राजा ने नेताजी से 28 साल पहले बना ली थी 'आजाद हिंद' सरकार! नोबेल के लिए हुआ था नॉमिनेट

                                                          इस जाट राजा ने नेताजी से 28 साल पहले बना ली थी 'आजाद हिंद' सरकार! नोबेल के लिए हुआ था नॉमिनेट
25 दिसंबर 2015 का दिन था। दुनिया क्रिसमस मना रही थी, भारत में वाजपेयी जी का जन्मदिन मनाया जा रहा...
25 दिसंबर 2015 का दिन था। दुनिया क्रिसमस मना रही थी, भारत में वाजपेयी जी का जन्मदिन मनाया जा रहा था तो पाकिस्तान में जिन्ना के साथ-साथ नवाज शरीफ की सालगिरह। पीएम मोदी रूस से सीधे पहुंचे अफगानिस्तान की राजधानी काबुल, उनकी नई संसद में अटल ब्लॉक का उद्घाटन किया और अफगानिस्तान की संसद को संबोधित किया। उसके बाद मोदी सीधे पहुंच गए पाकिस्तान।
इतिहास में ये तारीख हमेशा के लिए दर्ज हो गई है कि कैसे भारत का पीएम पाकिस्तान के पीएम की सालगिरह मनाने अचानक से उड़कर पाकिस्तान पहुंच जाता है। दोनों देशों की मीडिया के लिए ही नहीं दुनिया भर की मीडिया के लिए ये बड़ी खबर थी, लेकिन इस बड़ी खबर में ऐतिहासिक नजरिये से एक बहुत बड़ी खबर बताने से देश की मीडिया चूक गई और वो ये कि जिस व्यक्ति ने एक बार लोकसभा चुनावों में भाजपा के पहले प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को करारी शिकस्त दी थी, भाजपा के दूसरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काबुल की संसद में उस व्यक्ति की जमकर, दिल खोलकर तारीफ की।

Thursday, October 11, 2018

जाट DNA और हमारे पूर्वज

*💐जाट DNA और हमारे पूर्वज 💐*

 हमारे पूर्वजों ने  DNA को एक ख़ानदान और नस्ल के तौर पर देखा कि किस प्रकार से हमारी नस्ल को कामयाब रखा जा सकता है । चाहें कोई राजा हो या चाहें एक आम आदमी , सभी ने हमारी नस्ल को कामयाब रखने के लिए पूरा ज़ोर लगाया । यह हमारे पूर्वजों की बहुत बड़ी महानता है कि आज हमारा DNA अन्य लोगों से अलग है जो हमारे स्थाई धंधों जैसे कि खेती और लड़ाई से बना है जो ज़मीन से जुड़े हुए थे और इसीलिए हम कबड्डी और कुश्ती सदियों से खेलते आ रहें हैं ।

Tuesday, October 9, 2018

राजस्थानी जाट कठे…..

राजस्थानी जाट कठे…..

शीश बोरलो नासा मे नथड़ी सौगड़ सोनो आज कठे,
कठे पौमचो जाटणी को जाटां रो सवायो काज कठे !

कठे पेमल पनेरां की तेजोजी खरनाल कठै,
कठे राखड़ी जायल की  खिंयाळा को नाम कठे !

गिणता गिणता रेखा घिसगी रामभक्ती री रीस कठे,
मांझवास री जबर जाटणी फूलां री आशीष कठे!

तेजा न मनावता सावण भादवा री मौज कठे,
लावणी री मधुर मनवारां सुरंगो ओ आसौज कठे!

विरासत की रक्षक जाटणी...

*विरासत_की_रक्षक*

*जाटनी_बिना_जाट_सूनमसून जाटनी_है_तो_जाट_नस्ल_का_शुद्ध_है_खून*

*जाटनी जट्टी ये अपने आप मे जाट नस्ल की जनक,संरक्षक,श्रेष्ठता का आधार है। इनके कर्म,धर्म,रिश्ते,व्यवहार,शिक्षा अव्वल दर्जे की होती है। अपने आप मे जाटनी एक विश्विद्यालय से कम नही होती है ।जाट तो अपने आर्थिक आय से जुड़े नित्य कर्मो में व्यस्त रहता है। चाहे खेत किसान ही हो जाट लेकिन उसकी नस्ल का चरित्र निर्माण व शारीरिक व बौद्धिक विकास जाटनी ही करती है।*

Thursday, September 20, 2018

"तेजाजी-पेमल : नागवंशों की परस्पर शत्रुता की पृष्ठभूमि में विवाहित युगल की लोकगाथा"

"तेजाजी-पेमल : नागवंशों की परस्पर शत्रुता की पृष्ठभूमि में विवाहित युगल की लोकगाथा"
(भाद्रपद शुक्ल पक्ष दशमी, तेजाजी देहावसान दिवस)
कहानी हजार साल पुरानी है. 
ब राजस्थान के वर्तमान नागौर क्षेत्र के नागाणा प्रदेश के खरनाल गण के जाट शासक बोहित राज धोलिया थे।
उनके पुत्र ताहड़ देव थे.
उनकी पत्नी थीं,
अजमेर के किशनगढ़ के पास त्योद गाँव के गणपति दुलन सोढी की कन्या-
राम कुँवरी.
बचपन में घर पर उन्हें सब सुगणा कहते.
विवाह के 12 वर्ष तक राम कुँवरी के कोई संतान नहीं हुई।
अतः अपने वंश को आगे बढ़ाने के लिए ताहड़ जी के नहीं चाहते हुये भी राम कुँवरी ने अपने पति का दूसरा विवाह कर दिया।
यह दूसरा विवाह रामी देवी के साथ सम्पन्न करवा दिया।
द्वितीय पत्नी रामी के गर्भ से ताहड़ जी के रूपजीत (रूपजी) , रणजीत (रणजी), महेशजी, नगजीत ( नगजी) पाँच पुत्र उत्पन्न हुये।
राम कुँवरी को 12 वर्ष तक कोई संतान नहीं होने से अपने पीहर पक्ष के गुरु मंगलनाथ जी के निर्देशन में उन्होने नागदेव की पूजा-उपासना आरंभ की। 

Monday, September 17, 2018

मृत्युभोज एक सामाजिक बुराई

*लेख बड़ा है पर एक बार जरूर पढ़ें*mrityubhoj के लिए इमेज परिणाम
 यह लेख लिखते हुए शर्म महसूस हो रही है। कई बार ऐसा लगता है, अज्ञानता वरदान है। इग्रोरेन्स इज ब्लिस। लेकिन जाने अनजाने में कई चीज़ें ज्ञान के प्रकाश में आ जाती हैं और पीड़ा देती हैं । ऐसी ही एक पीड़ा देने वाली कुरीति है -मृत्युभोज। मानव विकास के रास्ते में यह गंदगी कैसे पनप गयी, समझ से परे है।

Wednesday, September 12, 2018

स्वामी केशवानंद :-एक निराला शिक्षा संत

*स्वामी केशवानन्द : एक निराला शिक्षा-संत*

*प्रो. H R ISHRAN की कलम✍✍*
***********************************स्वामी केशवानंद के लिए इमेज परिणाम*
फ़र्श से अर्श तक पहुंचने वालों के कई किस्से सुने हैं। पर यह किस्सा एक ऐसी शख्सियत का है, जिसे पैर टिकाने के लिए अपना कोई टिकाऊ फ़र्श नसीब नहीं हुआ। आज यहां तो कल वहां। यह किस्सा एक ऐसे यायावर का है जिसने कष्टों के कांटों से जूझते हुए एक विशाल इलाके को शिक्षा से रोशन कर नव-जागरण की ज्वाला प्रज्ज्वलित की और अपने कर्मनिष्ठ जीवन से लोकप्रियता के आकाश पर धूमकेतु की तरह छाया रहा। यह किस्सा बेहद रोमांचक है। ट्विस्ट इसमें कई हैं।

Sunday, September 9, 2018

नशा नाश का द्वार:-वीरमाराम जाणी वरिष्ठ पत्रकार

*दहशत की जद में मालानी.* *::::::गौर कीजिए*

*वीरमाराम जाणी वरिष्ठ पत्रकार की कलम✍✍*

अब भी नहीं चेते, तो बहुत देर हो जाएगी.
क्योंकि अगला नम्बर आप/हम में से किसी का भी हो सकता है.

कभी बेहद शांत माने जाने वाले बाड़मेर जिले के मालाणी इलाके में एक बार फिर खुलेआम कानून की धज्जियां उड़ाई गई, वो भी पुलिस की नाक के ठीक नीचे. गुड़ामालानी क्षेत्र में एक ही दिन में तीन-तीन मर्तबा फायरिंग की वारदातों ने स्पष्ट सन्देश दे दिया है कि इलाके की शांति को ग्रहण लग चुका है. आम जनता ख़ौफ़ज़दा है और पुलिस हमेशा की तरह लाचार. साफ है, अब कानून के राज की जगह गैंगस्टर राज ले चुका है. इस 'गैंगस्टर राज' के सबसे प्रमुख किरदार हैं शराब, डोडा-अफीम, स्मैक के तस्कर और इसके नशेड़ी.

जाटों की पहचान,चरित्र, स्वभाव और विशेषताएं

जाटों की पहचान, चरित्र, स्वभाव और विशेषताए

जाट जाति का प्रत्येक युवक अपने लम्बे डील डौल, सुन्दर गोरे या गेहुएं चेहरे, घने काले बालों, लम्बी गर्दन, लम्बी सुथरी नाक, काली बड़ी-बड़ी आंखों, चौड़ा माथा, चौड़ी छाती, लम्बी भुजाओं, पतली कमर और रौबीली चाल से भली-भांति पहचाना जा सकता है। जाट का शरीर गठीला, और फुर्तीला होता है। जाटों का स्वभाव बड़ा सरल और दयालु है। किन्तु अन्याय होने पर मनमानी करने में वे अपने प्राणों को भी संकट में डाल देते हैं।

Tuesday, September 4, 2018

कुछ भटकते-खटकते ख़याल संदर्भ: शिक्षक दिवस ......

कुछ भटकते-खटकते ख़याल
संदर्भ: शिक्षक दिवस
************************
जीवन को गढ़ने-संवारने में माता -पिता के बाद सबसे ज़्यादा प्रभावी भूमिका निभाने वाले उन सभी गुरुजनों को नमन, जिन्होंने अपने आदर्श और कर्तव्यनिष्ठ जीवन से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित किया है।
शिक्षक दिवस पर विशेष स्मरण शिक्षा-संत शिरोमणि महात्मा ज्योतिबा फुले और उनकी अर्धांगिनीशिक्षक दिवस के लिए इमेज परिणाम सावित्रीबाई फुले का जिन्होंने सामंतवादी और रूढ़िवादी भारत में वंचित वर्ग की संतति को शिक्षित करने का सपना देखा और उसे साकार करने व उनकी शिक्षा का मार्ग प्रशस्त करने हेतु स्कूल खोलने का क्रांतिकारी कदम उठाया। फुले दंपति की स्मृति को शत- शत नमन।

Thursday, August 30, 2018

कुछ सवाल खुद से पूछिए....

*यदि आप समाज के वरिष्ठ सदस्य हैं तो अपने आप से ये प्रश्न कीजिये....*

1. क्या मैंनेअपने स्तर पर किसी सामाजिक कुरीति को रोकने का प्रयास किया???
2. क्या मैंने समाज के किसी गरीब व असहाय व्यक्ति या उसके परिवार की सहायता की या सहायता का भरोसा दिलाया???
3. क्या मैंने किसी निजी विवाह समारोह में उपस्थित होने पर दहेज न लेने व दहेज न देने के लिए किसी एक व्यक्ति को प्रेरित किया???

Saturday, August 25, 2018

आजादी का अंत बुरा....

*आज़ादी_का_भी_अंत_बुरा  #मर्यादा_बनाये_रखिये*

*आज़ादी के नाम पर नग्नता,फूहड़ता,परिवार विघटन,घर से भागना,अभी एक लड़की नग्न साइकल सवार बनी थी यह आज़ादी है तो हम पारम्परिक ही अच्छे है,सनी लियोनी आइडल है आज़ादी की,जो नशे में एक्ट्रेस अपने परिवार कल्चर को जूते की नोक पर रखती हैं ये आदर्श है आज ,शर्म नही रही आज़ादी की व्याख्या ही गलत हो गई है ।*

*यह घटना 2009 जनवरी की है मुझे एक ड्यूटी के सिलसिले में पुणे जाना हुआ किसी भाई के कागज सत्यापन के लिए,मैं शिवाजीनगर पहुँचा जहां से मुझे खाड़की ईस्ट पुलिस स्टेशन भेज दिया गया ।*

हम क्यों करते हैं मृत्युभोज...?

*हम क्यों करते हैं मृत्यु भोज❓❓*

*✍*रामलाल जाणी भीमथल*
*8003041770*

*इस गंभीर लेख को पूरा पढ़ें..*


*✍✍अक्सर लोगों को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि मृत्यु भोज मृत आत्मा की तृप्ति के लिए, उन्हें स्वर्ग का टिकट दिलाने, मृत आत्मा की शांति के लिए किया जाता है,जो मृत्यु भोज में पुण्य मिलता वह मृत आत्मा को आगे प्राप्त होता है, उसमें उसकी आत्मा की मुक्ति होती है उस को शांति मिलती है या उस व्यक्ति ने आपके लिए इतने वर्ष काम किया था तो आप उसके मौत पर कम से कम इतना खर्चा तो कर सकते हैं ।।*

Monday, July 30, 2018

जाटवाद बनाम ब्राह्मणवाद.....

 
जाटवाद बनाम ब्राह्मणवाद
आज से 2500 ई.पू. जाटों ने सिंधु घाटी की सभ्यता का निर्माण चार्वाक दर्शन (भौतिकवादी दर्शन) के आधार पर किया था । उस समय जाट जाति नाग जाति कहलाती थी । सम्राट तक्षक इस जाति के सबसे बड़े चौधरी थे और नांगलोई (दिल्ली), तक्षशिला (पाकिस्तान) तथा नागौर (राजस्थान) नाग जाति के केन्द्रीय स्थान थे । नागों ने ही नागरी लिपि को विकसित किया था जो आगे चलकर देवनागरी कहलाई । इस सिंधु घाटी की सभ्यता के खिलाफ ब्राह्मणों ने षड्यन्त्र रचे तथा सम्राट तक्षक की हत्या करके एवं चार्वाक दर्शन को धीरे-धीरे खत्म करके, इस महान् सभ्यता का पतन कर दिया ।
तक्षक और सिंधु गोत्र आज भी जाटों के ही गोत्र हैं । सिंधु घाटी की सभ्यता के पतन के बाद ब्राह्मणों ने वैदिक युग (1500 ई.पू. से 600 ई.पू.) की शुरुआत की । इस वैदिक युग में वेदों की रचना हुई, पाखंडों को बढ़ावा मिला तथा जन्म आधारित जाति व्यवस्था की शुरुआत हुई । नाग (जाट) इस वैदिक व्यवस्था के खिलाफ संघर्ष करते रहे । आगे चलकर इस संघर्ष में से बुद्ध की ब्राह्मणविरोधी मूवमेंट खड़ी हुई । शाक्य वंशीय नागमुनि गौतम बुद्ध ने सर्वाधिक क्रान्तिकारी नागों को नये नाम ‘जाट’ के नाम से सम्बोधित किया । जाट शब्द का अर्थ है “ब्राह्मणवाद के खिलाफ जुटे हुए सैनिक ।”
इस काल में बुद्ध के हीनयान-महायान की भान्ति जाटों के गोत्र प्रचलित हुए । जाटयान, राजयान, कादयान, ओहल्याण, बालयान, दहियान (दहिया), गुलियान (गुलिया), नवयान (नयन), लोहयान (लोहान), दूहयान (दूहन), सिद्धू (सिद्धार्थ गौतम), महायान (मान) इत्यादि ।

दिल्ली जाटों की है.......

जी हाँ भारत की राजधानी और उसके आसपास का क्षेत्र जाटों है जरा गौर से पढ़िए... 
सबसे शक्तिशाली पहाड़ी की चोटी पर खड़े होने का 'फील गुड'. जी, रायसीना हिल्स जहां देश के कार्यपालक अध्यक्ष (राष्ट्रपति) निवास करते हैं.

क्या गजब की चीज बनाई लूट्यन्स साब ने. (यहां इनकी प्रतिमा अब तक सुरक्षित है, टूटी नहीं है. तस्वीर संलग्न). चार मंजिलें, 330 एकड़ का इलाका, 340 निहायत ही सुसज्जित कमरे, 74 बरामदे, 37 मीटिंग हॉल, करीब एक किलोमीटर का गलियारा, 18 सीढ़ी मार्ग, 37 फव्वारे आदि आदि.

Monday, July 23, 2018

उलझन ओर सवाल ? जट्ट नश्ल

उलझन ओर सवाल ?
जाट ईश्वर के रूप जो किसी एजेंट के द्वारा बनाया गया हो नही मानता ।जाट मूर्तिपूजक सिर्फ इसीलिए नही है क्योंकि जाट पृकृतिपूजक है ।आस्था के नाम पर गांव में दादा खेड़ा,भूमिया,जठेरा,पीर,चामड़, जहां दूध और अन्न का अंश इसीलिए चढ़ता रहा है कि पृकृतिं जो हमारी मेहनत के बाद हमे देती है। सब उसी आस्था से जुड़ा है। जाट जमीन और पानी से जुड़ी नस्ल है। इसके उत्सव भी नदियों किनारे होते रहे है ।

Friday, July 20, 2018

भगतसिंह की ज़िन्दगी के वे आख़िरी 12 घंटे

भगतसिंह की ज़िन्दगी के वे आख़िरी 12 घंटे - रेहान फ़ज़ल, बीबीसी संवाददाताभगत सिंह

लाहौर सेन्ट्रल जेल में 23 मार्च, 1931 की शुरुआत किसी और दिन की तरह ही हुई थी. फ़र्क सिर्फ़ इतना-सा था कि सुबह-सुबह ज़ोर की आँधी आयी थी.
लेकिन जेल के क़ैदियों को थोड़ा अजीब-सा लगा जब चार बजे ही वॉर्डेन चरतसिंह ने उनसे आकर कहा कि वो अपनी-अपनी कोठरियों में चले जायें. उन्होंने कारण नहीं बताया. उनके मुंह से सिर्फ़ ये निकला कि आदेश ऊपर से है.
अभी क़ैदी सोच ही रहे थे कि माजरा क्या है, जेल का नाई बरकत हर कमरे के सामने से फुसफुसाते हुए गुज़रा कि आज रात भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी जानेवाली है
उस क्षण की निश्चिन्तता ने उनको झकझोर कर रख दिया

Wednesday, July 18, 2018

जाट कौम .......... सावधान !!

जो इस पोस्ट को पुरा पढकर गहन विचार वयक्त नही कर सकता उस जाट और उस जाटनी का इस व्हाटसएप्प और फेसबुक जैसै सोसियल मिडिया प्लेटफार्म पर रहकर समय बर्बाद करना कोई मतलब नही रखता !!
जो लोग अपनी कौम के और अपने बच्चो के भविष्य के प्रति सजग और सचेत नही रहते वो लोग अपने जीवन में कुछ नही कर सकते! और उनके बच्चो का भविष्य अंधकार मय हो जायेगा !
एक दिन ऐसा समय आयेगा की उनके बच्चो की आने वाली पीढ़ीयाँ सड़को पर कटोरा लेकर भीख मांगेगी                                                     आपको यह पोस्ट बुरी लग सकती है पर 100% से भी ज्यादा सत्य और हाल के मुद्दो पर बनाई गयी पोस्ट है। इतनी मेहनत से आपके लिये किसी ने लिखा है तो प्लीज 10 मिनट समय निकाल कर पोस्ट को पढ़े और घर परिवार में अपने बीवी बच्चो को भी पढ़ाये और सुनाएँ !! मैं आपकी और आपके द्वारा इस पोस्ट को आगे फैलाने पर मिली प्रतिक्रिया जानना चाहुंगा         

Tuesday, July 10, 2018

मैं जट हूँ मै एक नस्ल हूँ ......

मैं जट हूँ मै एक नस्ल हूँ जो हर मजहब,धर्म,पन्थ में होकर भी जाट ही हूँ ।मुझे धर्मो,मजहबो,पन्थो की नजर के चश्मे से देखने ओर बाटने वालों ये नस्ल है टुकड़ो में नही बटेगी ।दूरिया गलतफहमियां अधिक दिन तक दूध,खून से सींचे सदियों पुरानी नस्ल के इस रिश्ते को दूर नही रख सकते है।

मैं उन महान पुरखो का अंश हूँ जो पृकृतिं के उपासक ओर संरक्षक रहे है। मैं उस परम्परा विरासत का हिस्सा हूँ जहाँ सुबह की दस्तक के आखिरी अंधेरे पर नींद त्यागने के बाद भूखे प्यासे उन पशुओं,परिवार की शारीरिक व आर्थिक ऊर्जा के संचय के लिये जुट जाता हूँ। इन सभी के पेट भरने के इंतजाम के बाद ही में पहला निवाला अपने हलक के नीचे उतारता हूँ ।बेजुबान पशुओं की हर सेवा करता हूँ जिनका में पालक हूँ ।

पाखण्डवाद के विरोध में हमारी कमेरी जाट कौम......

पाखण्डवाद के विरोध में हमारी कमेरी जाट कौम ने सदियों से संघर्ष करने के बाद भी आखिरकार आज अपने हथियार डाल दिये हैं । इसी का परिणाम है कि आज इस बहादुर किसान कौम के नौजवान शेर पागलों की तरह कंधों पर कांवड़ उठाये घूम रहे हैं और रास्तों में गाड़ियों के नीचे कुत्ते, बिल्लियों की तरह कुचले जा रहे हैं वरना कभी इन्हीं के पूर्वजों ने आक्रमणकारियों और पाखण्डियों को कुचला था । जौत की जमीन रही नहीं और रोजगार मिला नहीं तो शादी हुई नहीं तो फिर इन्हें पाखण्डियों ने बहकाया गया कि कावड़ लाओ दुल्हन आएगी । शायद इन्हें पता नहीं दुल्हनों की हत्या तो पेट में ही हो गई थी । कुछ गांजा, चरस और भांग का लुत्फ उठाने जाते हैं तो कुछ शिविरों में हलवा, पूरी खाने जाते हैं । एक अनुमान के अनुसार हर साल औसतन आठ लाख जाट यह पागलपन कर रहे हैं जिसमें औसतन एक कावड़िया लगभग 10 हजार तक खर्च करके प्रति वर्ष जाट कौम का 80 करोड़ रुपया सरेआम बर्बाद किया जा रहा है । यह कार्य लगभग 20 सालों से चल रहा है और बढ़ता ही जा रहा है ।

Monday, July 9, 2018

फौजी दिनेश बेनीवाल इतिहासकार की कलम ✍✍

जरूर पढ़ें

फौजी दिनेश बेनीवाल इतिहासकार की कलम ✍✍

कुछ जाट विरोधी मानसिकता लगी हुई है जो जट्ट नस्ल के बारे में बहुत गलत तरह से अपनी घटिया मानसिकता दर्शाते हैं। उनके लिए एक जबाब है ।

बात तार्किक करूँगा जो सामने है उसकी करूँगा अतीत के भ्रम ओर कल्पनाओ की बात नही करूँगा ।

जाट नस्ल क्या है ये सब जानते है दुनिया में कई देशों में जाट नाम की जगह आबाद है आज भी गूगल करो देखो ।

जट्ट नस्ल के राजे महाराजे तो अनगिनत है नाम लेते थक जाएंगे ।मैं अभी ताजे अतीत की ही बात करूंगा जो सत्य है जिसकी कोई काट नही है भरतपुर ओर लाहौर ये दोनों सल्तनत जट्टो की ताकत का एहसास कराती है ।महाराजा शेर ए पंजाब महाराजा रणजीत सिंह जब तक जिये ।पंजाब अफगान से लेकर दिल्ली तक मिला रहा ।भरतपुर को जाट प्लेटो एशियाई अफलातून महाराजा सूरजमल ने वो ताकत बनाया जिसको मुगल,राजपूत,मराठे,अंग्रेज कोई नही जीत सका ,अजय रियासत रही है भरतपुर ।

Thursday, July 5, 2018

जिस इंसान या कौम को अतीत जानने का अहसास नही होता" उस इंसान या कौम का दुनियां में कोई इतिहास नही होता"

जिस इंसान या कौम को अतीत जानने का अहसास नही होता"
उस इंसान या कौम का दुनियां में कोई इतिहास नही होता"
पोस्ट को सम्पुर्ण पढ़े
लेखक :- Ashok Singh Bhadu
🙏 *राम राम/सत श्री अकाल/वालैकुम सलाम/ जाट भाईयों*🙏
मैं *अशोक सिंह भादू-पुत्र-S/oजाट गोरधन सिंह भादू* जो यह पोस्ट लिखने जा रहा हुँ! इस पोस्ट को पुरा(सम्पुर्ण) ही पढ़े तो बेहतर होगा! वर्ना आधा अधूरा पढ़ने का कोई फायदा नही है! मैं पिछले 4-5साल से सोसियल मिडिया के सहारे जाट कौम के इतिहास को जानने में लगा हुआ हुँ!मैं मेरी इस कौम के अतीत के बारे में जितना जानता हुँ! वह बात हर रोज नयी ही होती है! और इस कौम का अतीत कभी खत्म नही होता! हर रोज एक नया पन्ना मिलता है इस कौम का *5* साल में मैनें जितना जाना जैसा जाना जो समझा वो यहा इस पोस्ट में लिख रहा हुँ! प्लीज सभी भाई-बहन इस पोस्ट को पढ़ने की कोशिश करें! जाट वीरों बात यह है की हम जितना हमारे अतीत को जानते है उतना उसके अंदर खोते जाते है! लेकिन फायदा क्या है?

Wednesday, July 4, 2018

बाबा खरथाराम चौधरी

वीर प्रसूता मारवाड़ की धरा।।
एक फ़रिश्ता धरती पर उतरा।।
गाँव भणियाणा में बाबा ने जन्म लिया।
जन सेवार्थ जीवन समर्पित किया।
सन् 1939 बलदेवराम से हुई मुलाकात ।
शिक्षा,समाज हित की हुई बात।।
बाबा ने किया सामन्तों का सामना।
मन में थी किसान हित की कामना ।।
चरम सीमा पर था सामंती अत्याचार।

Monday, June 11, 2018

इंडियन मिलिट्री एकेडमी देहरादून में आयोजित पासिंग आउट परेड में 4 वर्ष की ट्रेनिंग के बाद बाड़मेर किसान के बेटे ने बताया गौरव कम से कम मजदूरी में रेत के ट्रक भी खाली किए कड़ी मेहनत से आयुष जिले के पहले पैरा कमीशंड ऑफिसर कहते हैं कड़ी मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती है जिसे सार्थक कर दिखाया जिले करो कि ढाणी सिणधरी के रहने वाले आयुष आयुष ने अपना बचपन का पिता राम चारण किसान है जिनके पास इतने पैसे नहीं थे कि उसको पढ़ाई पढ़ाई पढ़ाई लेकिन आई उसकी पढ़ाई के प्रति ललक इतनी थी कि वह कम पेपर मजदूरी के लिए गया बजरी के ट्रक खाली थी और अपनी पढ़ाई को निरंतर जारी रखा गांव में स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद सीनियर सेकेंडरी स्तर की पढ़ाई बाड़मेर से कि इसके बाद जुलाई 2014 से आई एन ए में प्रशिक्षण डेट है इस ट्रेनिंग के दौरान आयोजित गतिविधियों और प्रदर्शन के आधार पर अलग-अलग रेजीमेंट के लिए चयन होता है कड़ी मेहनत उत्साह और कार्यकुशलता के कारण आयुष चौधरी को भारत के सबसे मजबूत कही जाने वाली रेजिमेंट टू बहराइच स्पेशल फोर्स के लिए चयनित किया गया शनिवार को इंडियन मिलिट्री एकेडमी देहरादून में आयोजित पासिंग आउट परेड में 4 वर्ष की ट्रेनिंग के बाद आयुष को लेफ्टिनेंट की रैंक प्रदान की गई देहरादून में आयोजित एक समारोह में मुख्य अतिथि के रुप में नेपाल के सेनाध्यक्ष जनरल राजेंद्र जी मौजूद रहे पाइपिंग माता की जोत और पिता राजू राम सारण बाड़मेर की पारंपरिक वेशभूषा में थे उनके साथ एनसीसी अधिकारी कैप्टन आदेश कुमार कैलाश कुमार आदि मौजूद रहे कैप्टन आदर्श किशोर जाणी 49 के संयोजक सुरेश सारण बनवाई थी कैलाश कुमार और सतवीर आदि मौजूद थे लेफ्टिनेंट आयुष का बाड़मेर के युवाओं के लिए संदेश राष्ट्र सेवा और जज्बे के लिए सर्वोत्तम क्षेत्र सहना है या हार्ड वर्क बहादुरी सासरे उत्साह से उस मुकाम पाया जा सकता है बाड़मेर के युवाओं में बहुत काबिलियत है लेकिन अभी तक वजन छोटा रहकर सिर्फ सेना में जवानों की भर्ती होते हैं उचित तैयारी से उन्हें सैन्य अधिकारी के रूप में आगे आना चाहिए इसके लिए बहुत सी भाषाओं को तोड़ा है इंग्लिश और लाइक क्वालिटी के लिए बहुत अभ्यास किया मन में एक ही धुन थी कुछ करके दिखाना है आज मैं बहुत खुश हूं मेरे माता-पिता का बहुत बड़ा तैयार है यह पैरा स्पेशल फोर्स पैरा स्पेशल फोर्स भारतीय सेना के सर्वोच्च लड़ाकू और खतरनाक क्लास को अंजाम देने वाली मानी जाती है मुंबई आतंकी हमले सर्जिकल स्ट्राइक और उरी हमले में पैरा ने अद्भुत पराक्रम का परीक्षा दिया था
बाड़मेर। बाड़मेर की मरुस्थली धरती जवानों की बहादूरी और साहस के लिए हमेशा से ही प्रसिद्ध रही है। अब इस धरती से सेना में अधिकारी के रूप में भी दस्तख दे दी है। यह कारनामा कर दिखाया है बाड़मेर जिले के नेहरों की ढाणी सिणधरी के राजूराम सारण और हीरों देवी के बेटे लेफ्टिनेंट आयुष सारण ने।
आयुष जिले के वो प्रथम व्यक्ति है जो पैरा में कमीशंड ऑफिसर बने है। दरअसल इंडियन मिलिट्री एकेडमी देहरादून में आयोजित पासिंग आउट परेड में चार वर्ष की कड़ी ट्रेनिंग के बाद आयुष को लेफ्टिनेंट की रैंक प्रदान की गई। दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि नेपाल के सेनाध्यक्ष जनरल राजेन्द्र चेती थे। पाइपिंग सेरेमनी के दौरान आयुष सारण की माता हीरों देवी और पिताजी राजूराम सारण बाड़मेर की पारंपरिक वेशभूषा में थे।
पाकिस्तान से लगी सीमा के जिले और निरक्षर किसान के बेटे द्वारा ऑफिसर बनने की खुशी में आईएमए तमाम अधिकारी उत्साहित होकर बधाईयाँ दे रहे थे। इतना ही नहीं आयुष सारण बाड़मेर में पढ़ाई के दौरान स्वयं मजदूरी करके खर्च वहन करता था। कभी कभार ट्रक खाली करता तो कभी कमठे पर जाया करता था। गौरतलब है कि पैरा स्पेशल फोर्स भारतीय सेना की सर्वोच्च लड़ाकू और खतरनाक टास्क को अंजाम देने वाली मानी जाती है। मुम्बई आतंकी हमले, सर्जिकल स्ट्राइक और उड़ी हमले में पैरा ने अद्भुत पराक्रम का परिचय भी दिया था।

नीट में प्रिंस का परचम Barmer`s boy is Prince of NEET








नीट में प्रिंस का परचम 

बाड़मेर जिले का छोटा सा कस्बा है धोरीमन्ना !

 पिछले कुछ सालों से धोरीमना ने हर प्रतियोगिता परीक्षा में अपना परचम लहराया है, RAS, IAS से लेकर तमाम छोटी-बड़ी प्रतियोगिता परीक्षा में धोरीमना के बेटे बेटियों ने टॉप पर अपने झंडे गाड़े हैं।
धोरीमन्ना के लाल श्री दूदाराम हुड्डा ने पिछली RAS  परीक्षा में राजस्थान में 21 वीं रैंक हासिल की थी।

4 जून 2018 को  केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा आयोजित नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस यानी नीट 2018 का परिणाम घोषित किया गया  जिसमें बाड़मेर के प्रिंस चौधरी ने पांचवां स्थान प्राप्त किया है। प्रिंस ने 720 में से 686 अंक प्राप्त कर ऑल इंडिया 5वां स्थान और ओबीसी वर्ग में पूरे भारत में प्रथम स्थान प्राप्त किया है।

Saturday, May 26, 2018

एक शख्सियत का छोटी सी जीवनी आपके सामने पेश कर रहा हूं
🖋🖋✒✒✒✒
एकमात्र बाड़मेर के किसान का बेटा ने
पत्रकारिता में अपने पूरे हिंदुस्तान में परचम लहराया


श्रीमान विरमाराम पिता श्री स्वर्गीय बन्नाराम जी

वीरमा राम के पूर्वज मूलतः बाड़मेर के माडपुरा-बरवाला पंचायत के रहने वाले हैं, जो पशुपालन का काम करते थे. ये लोग अक्सर गर्मियों के दिनों में अपने रेवड़ चराने के लिए वर्तमान जालौर जिले के मैदानी और पहाड़ी इलाकों का रुख करते थे, क्योंकि बाड़मेर की तुलना में जालौर जिले में पशुओं के लिए चारा थोड़ी आसानी से उपलब्ध था. देश की आज़ादी के वक़्त इनके पिताजी-दादाजी ने जालौर जिले के भीनमाल उपखंड में अपने रेवड़ के साथ डेरे डाल रखे थे. आजादी के बाद जब देश में भूमि-बन्दोबस्ती का कानून लागू हुआ तो पशुओं के डेरे वाली जमीनों पर इन्होंने अपने हक़ जता दिया और उक्त जमीनें इन पशुपालकों के नाम हो गई. कालांतर में इन्होंने में इन्होंने बाड़मेर से अपने कई रिश्तेदारों, भाई-बन्धुओं को भी बुला लिया. आज ये लोग 'ज्याणीयों की ढाणी' नाम के गांव में अच्छी खासी तादाद में आबाद हैं.

वीरमा राम के पिताजी एक निरक्षर किसान थे लेकिन उन्होंने अपने बच्चों की शिक्षा पर पूरा जोर दिया. इसी का नतीजा था कि वीरमा राम ने शुरआती पढ़ाई गांव में करने के बाद नवोदय स्कूल में दाखिला हासिल किया. राजस्थान विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन किया. ग्रेजुएशन के बाद वे भारत के नामी विश्विद्यालय जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय चले गए जहां से उन्होंने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में MA, MPhil और पीएचडी की. साथ ही पत्रकारिता भी. वीरमा राम ने करीब 5 सालों तक ज़ी न्यूज के साथ काम किया फिर वे जिंदल ग्रुप के 'न्यूज़ वर्ल्ड इंडिया' नामक चैनल के साथ जुड़ गए. पत्रकारिता में सीनियर ओहदों पर रहने के अलावा भी वो कई सारे थिंक टैंक, सामाजिक संस्थाओं के साथ जुड़े रहे. वीरमा राम बाहर के कुछ देशों के साथ-साथ देश के लगभग हर कौने का दौरा कर चुके हैं. विदेश मामलों, देश के सियासी हालातों से लेकर सामाजिक मसलों पर वे लगातार रिपोर्टिंग करते रहे हैं और लिखते रहे हैं.

उनके पसंदीदा विषय किसानी, जापान और सिंध रहे हैं. भारत-जापान संबंधों पर पीएचडी करने के बाद वे कुछ पुस्तकों के लेखन पर काम कर रहे हैं.

वीरमा राम के निरक्षर पिताजी के शिक्षा के प्रति रुझान का ही नतीजा है कि उनकी छोटी बहन जहां चिकित्सा सेवा में कार्यरत है तो उनका छोटा भाई राजस्थान प्रशासनिक सेवा का अधिकारी है.

बकौल वीरमा राम, दुनिया में शिक्षा से बड़ा कोई हथियार नहीं है. और समाज में क्रांतिकारी बदलाव का सबसे बड़ा जरिया शिक्षा ही है.
यह बाड़मेर मारवाड़ के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है
वहां पहुंचने के बाद बाड़मेर के युवाओं से संपर्क और उनका मार्गदर्शन करते रहते हैं
 रूबरू होने का मौका मिला तो बहुत अच्छा  लगा
पत्रकार श्रीमान विरमाराम जी
आपको बधाई अग्रिम भविष्य की शुभकामनाए....

Friday, May 25, 2018

मालाणी के सिरमौर रामदान

रामदान डऊकिया है मालाणी के सिरमौर।
हमेशा याद रहेगा इतिहास का वह दौर।।
तेजाराम के घर एक वीर ने जन्म पाया।
वह  इतिहास में राम दान कहलाया।।
15 मार्च 1884 का दिन निराला था।
वह वीर भविष्य में क्रांति लाने वाला था।।
सभी ने मिलकर खुशियां मनाई।
सबसे खुश थी जन्मदात्री दौली माई।।
मालाणी का गांव का था सरली।
जिसने बदलाव की हुंकार भर ली।।

Thursday, May 24, 2018

करतार सिंह सराभा


जन्म 24 मई 1896-शहीदी 16 नवम्बर 1915 (फांसी)
दुनिया की किसी भी क्रूर सत्ता के खिलाफ अपनी मात्र भूमि के लिए यलगार करने वालो में सबसे कम उम्र में शहीद होने वाला सूरमा 19 वर्ष में फासी पर झूलने वाला

यूनाइटेड नेशन के रिकोर्ड में दर्ज करतार सिंह ग्रेवाल इनका जन्म 1896ई. में जिला लुधियाना पंजाब के सराभा गाँव के जाट सरदार मंगल सिंह के घर हुआ था ।ये अपने माता पिता की अकेली औलाद थे इनका बचपन बड़े लाड प्यार और सुख सुविधाओ के बीच बीता था ।ये अपनी किशोर अवस्था में ही अमेरिका पहुच गए थे ये वहा जाकर गदर पार्टी के मुख पत्र का संचालन कर रहे थे ।

Tuesday, May 22, 2018

महाराजा सूरजमल जाट

13 फरवरी 1707 बदन सिंह घर जन्म पाया।
सन 1733 सूरजमल ने गढ भरतपुर बसाया।।
वीरता धीरता चातुर्य से सबको लोहा मनवाया ।
अजेय योद्धा का परचम विश्व भर में लहराया।।
वो जाट वीर था सदा सर्वधर्म हितकारी ।
हिन्दू मुस्लिम सब प्रजा थी उनको प्यारी ।।
25 वर्ष की उम्र में सोघर जीत आया।

Saturday, May 19, 2018

बलदेवराम जी मिर्धा

जब बलदेव के बल पर झूम उठा मारवाड़...

मानव सभ्यता में दो पहलू होते है।एक अच्छाई का तो दूसरा बुराई का।हर सभ्यता के हर कालखंड में जब अत्याचार सीमा लांघने लगते है तो कोई न कोई महापुरुष बगावत का झंडा उठाकर खड़ा हो जाता है।मारवाड़ की मरुधरा में जब राजाओं/सामंतों का आतंक चरम पर था उस समय कुचेरा,नागौर की धरा पर 17जनवरी 1889 को मगाराम जी राड़ के घर किसान केसरी के नाम से विख्यात बलदेवराम जी मिर्धा का जन्म हुआ था।मगाराम जी का परिवार जोधपुर राज्य में पोस्ट व टेलीग्राफ का कार्य देखता था व इनके उत्कृष्ट सेवाओं के लिए जोधपुर राज्य की तरफ से "मिर्धा"की उपाधि दी गई थी।

Thursday, May 17, 2018

किसानों का मक्का तेजाजी धाम खरनाल


किसानों का मक्का तेजाजी धाम खरनाल
जाट कौम के महापुरुषों को जानने की कड़ी में आज हम सत्यवादी वीर तेजाजी के बारे में जानने का प्रयास करेंगे।वीर तेजाजी का जन्म एक जाट घराने में हुआ जो धोलिया वंशी थे। नागौर जिले में खड़नाल गाँव में ताहरजी और रामकुंवरी के घर माघ शुक्ला, चौदस संवत 1130 यानि 29 जनवरी 1074 में हुआ था। उनके पिता गाँव के मुखिया थे।ताहरजी नागवंशी धौलिया गोत्र के जाट है।संत कान्हाराम जी,मनसुख जी रिणवा,ठाकुर देशराज आदि इतिहासकारों ने वंशावली का वर्णन करने की काफी हद तक कोशिश की है लेकिन तथ्यों के अभाव में ज्यादा पुख्ता जानकारी नहीं मिल पाई है।यह सत्य प्रतीत होता है कि मध्यभारत के नागवंशी कबीले का पलायन आगरा से धौलपुर व फिर नागौर के जायल कस्बे की तरफ हुआ और जायल में काला गोत्री जाटों से झगड़े के कारण खरनाल में ठिकाना बनाया।उस समय इस इलाके में चौहान वंश का केंद्रीय शासन माना जाता था।ताहड़ देव जी 24गांवों के परगने खरनाल के प्रमुख बन गए थे।

Wednesday, May 16, 2018

DR ADRSH KISHORE JANI(डॉ. आदर्श किशोर )

Dr. Adarsh Kishor Jani S/O Uma Ram Jani (Engineer) is an Associates NCC Officer Lieutenant and Assistant Professor Lecturer in Hindi at P.G. College Barmer and social worker from Barmer, Rajathan. He provides free coaching to the poor students for selection in jobs
                                                       

जीवन परिचय

जन्म - 1 जनवरी 1985 , जालोर के खमराई गाँव में।
पिताजी - स्व. श्री उमाराम जी जाणी, सार्वजनिक निर्माण विभाग में सहायक अभियंता थे।
माताजी- श्रीमती दमीदेवी, गृहणी।
आपके पिताजी स्वर्गीय उमाराम जी भी समाज सेवा में थे।

PAINTER PAVAN THAKAN

PAINTER PAWAN THAKAN

INTRODUTION=-
                             PAWAN THAKAN IS  self taught sketch artist from barmer rajsthan. 
Whatsapp 7023347969
BORN=-
           30 APRIL 1998
Image may contain: 4 people, people smiling, people standing
Image may contain: drawing
Image may contain: 2 people
Image may contain: 3 people, people sitting and shoes

RAJA MHENDRA PRATAP .. इतिहास मिटाने से नहीं मिटते !.....PREMA RAM SIYAG


इतिहास मिटाने से नहीं मिटते !
इतिहास कलम से भी नहीं बनते!!
इतिहास बनाने के लिए शौर्य,पराक्रम,त्याग व तपस्या की जरूरत होती है और धुंधला करने के लिए लंबी लकीर खींचने की जरूरत होती है।25दिसंबर 2015को यह खबर तो मीडिया में खूब आई कि मोदीजी नवाज शरीफ से मिलने उनके घर पहुंचे लेकिन यह बात छुपाने की कोशिश की गई कि काबुल की संसद में न चाहते हुए भी मोदीजी की जुबान से किसने सच्चा इतिहास उगलवा डाला था।नाम भले ही अटल ब्लॉक रखा हो लेकिन मुंह तो ब्लॉक एक जाट राजा ने ही रखा था।

बाबा महेंद्र सिंह टिकैत MAHENDRA SINGH TIKAT

25 अक्टूबर 1988
स्थान- दिल्ली का बोट क्लब
ले. PREMA RAM SIYAG

7लाख से ज्यादा किसानों की भीड़ के बीच लाउड स्पीकर पर एक आवाज गूंजती है "खबरदार इंडिया वालों!दिल्ली में भारत आ गया है।"जैसे ही यह आवाज गूंजी,पूरी दिल्ली में भूचाल सा आ गया!लुटियन जॉन में अजीब सी बेचैनी छा जाती है!

सरकारी गद्दारी पर भारी जाटों की ईमानदारी.....

सरकारी गद्दारी पर भारी जाटों की ईमानदारी.....
आज हरियाणा का जाट जिस सोशल इंजीनियरिंग से जूझ रहा है वो वाकई एक अजीब तरह की जंग है!किसी भी लोकतांत्रिक देश मे आपको एक भी ऐसा उदाहरण नहीं मिलेगा जहाँ सत्ता रेडिकल संगठनों के साथ मिलकर,दूसरे समुदायों को आगे करके मीडिया के माध्यम से एक ऐसे समुदाय को दबाने की कोशिश में लगी है जिसका इतिहास ही भारत का इतिहास है,जिसका वर्तमान ही भारत का वर्तमान है और उसी समुदाय के कंधों पर भारत का भविष्य टिका हुआ है।

मृत्युभोज

सबसे बड़े मृत्युभोज का आयोजनकर्ता पट्टीदार!दुख की बात यह है कि ऐसे पट्टीदारों को जाट समाज के पढ़े-लिखे लोग बधाई देकर हौंसला अफजाई कर रहे है।कलंक रीति के कलुशों के मुंह पर कालिख पोतने के बजाय युवा बड़े कारनामे के रूप में प्रस्तुत कर रहे है!
किसी इंसान की मौत के बाद खाने को जुटने वाले लोग इंसान तो कतई नहीं हो सकते!मानते है किसी के घर मे बुजुर्ग की मौत एक सदमा देने वाली घटना है लेकिन अनुभव व इतिहास के सबूत की विदाई के बाद खाने को भटकते लोगों के बारे में क्या कहा जाए!

जो लोग गांव-गांव तेजाजी के मंदिर बनाकर ब्राह्मणों को रोजगार दे रहे है वो लोग तेजाजी जैसे महापुरुषों के विचारों के हत्यारे है।ब्राह्मणवाद के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगाकर तुम भी तो वो ही काम कर रहे हो 
 तेजाजी महापुरुष थे ,है व रहेंगे लेकिन ब्राह्मणवाद की आग में जलकर तुमने जिस दिन तेजाजी महाराज को काल्पनिक देवता घोषित किया उसी दिन तेजाजी के विचार मरने शुरू हो गए!

ब्राह्मणवाद की धूर्तता

 
पिछले साल खरनाल का तेजादशमी मेला राजनीतिक भाषण का झंडुबाम बना और अनुयायी जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे तभी तेजाजी के तथाकथित चमत्कारों की प्रशस्तियाँ दिलों से निकलकर राजनीति के संग्रहालयों में पहुंच गई थी👌
जाट समाज धार्मिक कभी रहा ही नहीं इसलिए ब्राह्मणवाद की धूर्तता को गोदी में बैठाकर जाटों ने जनाजा निकाल दिया था!जाट कौम उत्सवों की भूखी है,जाट कौम मनोरंजन तलाश रही है।किसी भी तथाकथित धर्म को जाटों के हवाले करके देख लीजिए।तेजाजी को चमत्कारिक घोषित करने की आस में घुसे थे और सपना चौधरी की फूहड़ता लेकर निकल रहे है।यकीन न हो तो तेजाजी के नाम पर होने वाली भजन संध्याओं का नजारा देख लीजिए

धन्ना जाट


धन्ना जाट का जन्म 1415ईसवी में गांव धुआंन जिला टोंक राजस्थान में हुआ।गरीब किसान परिवार में पले धन्ना को माँ-बाप से मानव सेवा के संस्कार मिले।धन्ना भगत का इतिहास भी दूसरे गैर-ब्राह्मण महापुरुषों की तरह दंतकथाओं में ही सिमटा रह गया।धन्ना भगत भी गैर-ब्राह्मणी भक्ति परंपरा से निकले संतों की तरह महान संत थे जिसकी वाणी आज भी सिक्ख गुरुद्वारों में गाई जाती है।धन्ना,दादू,कबीर,रैदास,रामदास,कर्माबाई आदि संतों के पीछे पूरा गैर ब्राह्मणी संगठन स्थापित नहीं हो पाया इसलिए इनकी वाणियों को,दोहों को,भजनों को किसान-कमेरों के घर घर में तो गाया जाता है लेकिन व्यवस्थित इतिहास व धारा का संकलन ठीक से नहीं हो पाया।गुरुनानक ने जो दिशा दी व उसके पीछे उनके अनुयायियों ने जो व्यवस्था खड़ी की ऐसी व्यवस्था खड़ी करने में बाकी संतों के अनुयायी नाकाम रहे।

बाबा टिकैत MHENDRA SINGH TIKAIT

आज किसान मसीहा बाबा टिकैत को दिल से बहुत याद कर रहा हूँ।मेरा मन तो नहीं था ऐसे फकीरी में जीने वाले इंसान के बारे में लिखने को क्योंकि जिसको दिल से चाहता हूँ,जिसको आदर्श मानता हूँ,जिसका जीवन मेरा प्रेरणाश्रोत हो उसके बारे में लिखने की सोचता हूँ तो हाथ कांपने लग जाते है,बुद्धि जवाब दे देती है,भावुकता लबों पर उतर जाती है,आंसू पलकों पर छा जाते है!

विचारहीन-दिशाविहीन नेतृत्व से जूझता जाट समाज .....




विचारहीन-दिशाविहीन नेतृत्व से जूझता जाट समाज .....
पिछले दिनों बाड़मेर के कुछ गांवों में मंदिर निर्माण प्रतियोगिता हुई है व तकरीबन तीन करोड़ रुपये की बोलियां लगी।बाड़मेर राजस्थान में सबसे अभावग्रस्त इलाका माना जाता है लेकिन हकीकत में संसाधनों का अभाव है नहीं बल्कि बुद्धि का अभाव नजर आता है!जाट समाज की विडंबना सदैव यह रही है कि ब्राह्मणवादी व्यवस्था में वो अपने आप को उच्च घोषित करने में हमेशा लगा रहता है।

डाबड़ा कांड के शहीद

#अमर_शहीदों_को_नमन्                                           13मार्च 1947का दिन था।जगह थी नागौर जिले की डीडवाना तहसील में गांव डाबड़ा!एक कि...