Monday, July 30, 2018

जाटवाद बनाम ब्राह्मणवाद.....

 
जाटवाद बनाम ब्राह्मणवाद
आज से 2500 ई.पू. जाटों ने सिंधु घाटी की सभ्यता का निर्माण चार्वाक दर्शन (भौतिकवादी दर्शन) के आधार पर किया था । उस समय जाट जाति नाग जाति कहलाती थी । सम्राट तक्षक इस जाति के सबसे बड़े चौधरी थे और नांगलोई (दिल्ली), तक्षशिला (पाकिस्तान) तथा नागौर (राजस्थान) नाग जाति के केन्द्रीय स्थान थे । नागों ने ही नागरी लिपि को विकसित किया था जो आगे चलकर देवनागरी कहलाई । इस सिंधु घाटी की सभ्यता के खिलाफ ब्राह्मणों ने षड्यन्त्र रचे तथा सम्राट तक्षक की हत्या करके एवं चार्वाक दर्शन को धीरे-धीरे खत्म करके, इस महान् सभ्यता का पतन कर दिया ।
तक्षक और सिंधु गोत्र आज भी जाटों के ही गोत्र हैं । सिंधु घाटी की सभ्यता के पतन के बाद ब्राह्मणों ने वैदिक युग (1500 ई.पू. से 600 ई.पू.) की शुरुआत की । इस वैदिक युग में वेदों की रचना हुई, पाखंडों को बढ़ावा मिला तथा जन्म आधारित जाति व्यवस्था की शुरुआत हुई । नाग (जाट) इस वैदिक व्यवस्था के खिलाफ संघर्ष करते रहे । आगे चलकर इस संघर्ष में से बुद्ध की ब्राह्मणविरोधी मूवमेंट खड़ी हुई । शाक्य वंशीय नागमुनि गौतम बुद्ध ने सर्वाधिक क्रान्तिकारी नागों को नये नाम ‘जाट’ के नाम से सम्बोधित किया । जाट शब्द का अर्थ है “ब्राह्मणवाद के खिलाफ जुटे हुए सैनिक ।”
इस काल में बुद्ध के हीनयान-महायान की भान्ति जाटों के गोत्र प्रचलित हुए । जाटयान, राजयान, कादयान, ओहल्याण, बालयान, दहियान (दहिया), गुलियान (गुलिया), नवयान (नयन), लोहयान (लोहान), दूहयान (दूहन), सिद्धू (सिद्धार्थ गौतम), महायान (मान) इत्यादि ।

दिल्ली जाटों की है.......

जी हाँ भारत की राजधानी और उसके आसपास का क्षेत्र जाटों है जरा गौर से पढ़िए... 
सबसे शक्तिशाली पहाड़ी की चोटी पर खड़े होने का 'फील गुड'. जी, रायसीना हिल्स जहां देश के कार्यपालक अध्यक्ष (राष्ट्रपति) निवास करते हैं.

क्या गजब की चीज बनाई लूट्यन्स साब ने. (यहां इनकी प्रतिमा अब तक सुरक्षित है, टूटी नहीं है. तस्वीर संलग्न). चार मंजिलें, 330 एकड़ का इलाका, 340 निहायत ही सुसज्जित कमरे, 74 बरामदे, 37 मीटिंग हॉल, करीब एक किलोमीटर का गलियारा, 18 सीढ़ी मार्ग, 37 फव्वारे आदि आदि.

Monday, July 23, 2018

उलझन ओर सवाल ? जट्ट नश्ल

उलझन ओर सवाल ?
जाट ईश्वर के रूप जो किसी एजेंट के द्वारा बनाया गया हो नही मानता ।जाट मूर्तिपूजक सिर्फ इसीलिए नही है क्योंकि जाट पृकृतिपूजक है ।आस्था के नाम पर गांव में दादा खेड़ा,भूमिया,जठेरा,पीर,चामड़, जहां दूध और अन्न का अंश इसीलिए चढ़ता रहा है कि पृकृतिं जो हमारी मेहनत के बाद हमे देती है। सब उसी आस्था से जुड़ा है। जाट जमीन और पानी से जुड़ी नस्ल है। इसके उत्सव भी नदियों किनारे होते रहे है ।

Friday, July 20, 2018

भगतसिंह की ज़िन्दगी के वे आख़िरी 12 घंटे

भगतसिंह की ज़िन्दगी के वे आख़िरी 12 घंटे - रेहान फ़ज़ल, बीबीसी संवाददाताभगत सिंह

लाहौर सेन्ट्रल जेल में 23 मार्च, 1931 की शुरुआत किसी और दिन की तरह ही हुई थी. फ़र्क सिर्फ़ इतना-सा था कि सुबह-सुबह ज़ोर की आँधी आयी थी.
लेकिन जेल के क़ैदियों को थोड़ा अजीब-सा लगा जब चार बजे ही वॉर्डेन चरतसिंह ने उनसे आकर कहा कि वो अपनी-अपनी कोठरियों में चले जायें. उन्होंने कारण नहीं बताया. उनके मुंह से सिर्फ़ ये निकला कि आदेश ऊपर से है.
अभी क़ैदी सोच ही रहे थे कि माजरा क्या है, जेल का नाई बरकत हर कमरे के सामने से फुसफुसाते हुए गुज़रा कि आज रात भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी जानेवाली है
उस क्षण की निश्चिन्तता ने उनको झकझोर कर रख दिया

Wednesday, July 18, 2018

जाट कौम .......... सावधान !!

जो इस पोस्ट को पुरा पढकर गहन विचार वयक्त नही कर सकता उस जाट और उस जाटनी का इस व्हाटसएप्प और फेसबुक जैसै सोसियल मिडिया प्लेटफार्म पर रहकर समय बर्बाद करना कोई मतलब नही रखता !!
जो लोग अपनी कौम के और अपने बच्चो के भविष्य के प्रति सजग और सचेत नही रहते वो लोग अपने जीवन में कुछ नही कर सकते! और उनके बच्चो का भविष्य अंधकार मय हो जायेगा !
एक दिन ऐसा समय आयेगा की उनके बच्चो की आने वाली पीढ़ीयाँ सड़को पर कटोरा लेकर भीख मांगेगी                                                     आपको यह पोस्ट बुरी लग सकती है पर 100% से भी ज्यादा सत्य और हाल के मुद्दो पर बनाई गयी पोस्ट है। इतनी मेहनत से आपके लिये किसी ने लिखा है तो प्लीज 10 मिनट समय निकाल कर पोस्ट को पढ़े और घर परिवार में अपने बीवी बच्चो को भी पढ़ाये और सुनाएँ !! मैं आपकी और आपके द्वारा इस पोस्ट को आगे फैलाने पर मिली प्रतिक्रिया जानना चाहुंगा         

Tuesday, July 10, 2018

मैं जट हूँ मै एक नस्ल हूँ ......

मैं जट हूँ मै एक नस्ल हूँ जो हर मजहब,धर्म,पन्थ में होकर भी जाट ही हूँ ।मुझे धर्मो,मजहबो,पन्थो की नजर के चश्मे से देखने ओर बाटने वालों ये नस्ल है टुकड़ो में नही बटेगी ।दूरिया गलतफहमियां अधिक दिन तक दूध,खून से सींचे सदियों पुरानी नस्ल के इस रिश्ते को दूर नही रख सकते है।

मैं उन महान पुरखो का अंश हूँ जो पृकृतिं के उपासक ओर संरक्षक रहे है। मैं उस परम्परा विरासत का हिस्सा हूँ जहाँ सुबह की दस्तक के आखिरी अंधेरे पर नींद त्यागने के बाद भूखे प्यासे उन पशुओं,परिवार की शारीरिक व आर्थिक ऊर्जा के संचय के लिये जुट जाता हूँ। इन सभी के पेट भरने के इंतजाम के बाद ही में पहला निवाला अपने हलक के नीचे उतारता हूँ ।बेजुबान पशुओं की हर सेवा करता हूँ जिनका में पालक हूँ ।

पाखण्डवाद के विरोध में हमारी कमेरी जाट कौम......

पाखण्डवाद के विरोध में हमारी कमेरी जाट कौम ने सदियों से संघर्ष करने के बाद भी आखिरकार आज अपने हथियार डाल दिये हैं । इसी का परिणाम है कि आज इस बहादुर किसान कौम के नौजवान शेर पागलों की तरह कंधों पर कांवड़ उठाये घूम रहे हैं और रास्तों में गाड़ियों के नीचे कुत्ते, बिल्लियों की तरह कुचले जा रहे हैं वरना कभी इन्हीं के पूर्वजों ने आक्रमणकारियों और पाखण्डियों को कुचला था । जौत की जमीन रही नहीं और रोजगार मिला नहीं तो शादी हुई नहीं तो फिर इन्हें पाखण्डियों ने बहकाया गया कि कावड़ लाओ दुल्हन आएगी । शायद इन्हें पता नहीं दुल्हनों की हत्या तो पेट में ही हो गई थी । कुछ गांजा, चरस और भांग का लुत्फ उठाने जाते हैं तो कुछ शिविरों में हलवा, पूरी खाने जाते हैं । एक अनुमान के अनुसार हर साल औसतन आठ लाख जाट यह पागलपन कर रहे हैं जिसमें औसतन एक कावड़िया लगभग 10 हजार तक खर्च करके प्रति वर्ष जाट कौम का 80 करोड़ रुपया सरेआम बर्बाद किया जा रहा है । यह कार्य लगभग 20 सालों से चल रहा है और बढ़ता ही जा रहा है ।

Monday, July 9, 2018

फौजी दिनेश बेनीवाल इतिहासकार की कलम ✍✍

जरूर पढ़ें

फौजी दिनेश बेनीवाल इतिहासकार की कलम ✍✍

कुछ जाट विरोधी मानसिकता लगी हुई है जो जट्ट नस्ल के बारे में बहुत गलत तरह से अपनी घटिया मानसिकता दर्शाते हैं। उनके लिए एक जबाब है ।

बात तार्किक करूँगा जो सामने है उसकी करूँगा अतीत के भ्रम ओर कल्पनाओ की बात नही करूँगा ।

जाट नस्ल क्या है ये सब जानते है दुनिया में कई देशों में जाट नाम की जगह आबाद है आज भी गूगल करो देखो ।

जट्ट नस्ल के राजे महाराजे तो अनगिनत है नाम लेते थक जाएंगे ।मैं अभी ताजे अतीत की ही बात करूंगा जो सत्य है जिसकी कोई काट नही है भरतपुर ओर लाहौर ये दोनों सल्तनत जट्टो की ताकत का एहसास कराती है ।महाराजा शेर ए पंजाब महाराजा रणजीत सिंह जब तक जिये ।पंजाब अफगान से लेकर दिल्ली तक मिला रहा ।भरतपुर को जाट प्लेटो एशियाई अफलातून महाराजा सूरजमल ने वो ताकत बनाया जिसको मुगल,राजपूत,मराठे,अंग्रेज कोई नही जीत सका ,अजय रियासत रही है भरतपुर ।

Thursday, July 5, 2018

जिस इंसान या कौम को अतीत जानने का अहसास नही होता" उस इंसान या कौम का दुनियां में कोई इतिहास नही होता"

जिस इंसान या कौम को अतीत जानने का अहसास नही होता"
उस इंसान या कौम का दुनियां में कोई इतिहास नही होता"
पोस्ट को सम्पुर्ण पढ़े
लेखक :- Ashok Singh Bhadu
🙏 *राम राम/सत श्री अकाल/वालैकुम सलाम/ जाट भाईयों*🙏
मैं *अशोक सिंह भादू-पुत्र-S/oजाट गोरधन सिंह भादू* जो यह पोस्ट लिखने जा रहा हुँ! इस पोस्ट को पुरा(सम्पुर्ण) ही पढ़े तो बेहतर होगा! वर्ना आधा अधूरा पढ़ने का कोई फायदा नही है! मैं पिछले 4-5साल से सोसियल मिडिया के सहारे जाट कौम के इतिहास को जानने में लगा हुआ हुँ!मैं मेरी इस कौम के अतीत के बारे में जितना जानता हुँ! वह बात हर रोज नयी ही होती है! और इस कौम का अतीत कभी खत्म नही होता! हर रोज एक नया पन्ना मिलता है इस कौम का *5* साल में मैनें जितना जाना जैसा जाना जो समझा वो यहा इस पोस्ट में लिख रहा हुँ! प्लीज सभी भाई-बहन इस पोस्ट को पढ़ने की कोशिश करें! जाट वीरों बात यह है की हम जितना हमारे अतीत को जानते है उतना उसके अंदर खोते जाते है! लेकिन फायदा क्या है?

Wednesday, July 4, 2018

बाबा खरथाराम चौधरी

वीर प्रसूता मारवाड़ की धरा।।
एक फ़रिश्ता धरती पर उतरा।।
गाँव भणियाणा में बाबा ने जन्म लिया।
जन सेवार्थ जीवन समर्पित किया।
सन् 1939 बलदेवराम से हुई मुलाकात ।
शिक्षा,समाज हित की हुई बात।।
बाबा ने किया सामन्तों का सामना।
मन में थी किसान हित की कामना ।।
चरम सीमा पर था सामंती अत्याचार।

डाबड़ा कांड के शहीद

#अमर_शहीदों_को_नमन्                                           13मार्च 1947का दिन था।जगह थी नागौर जिले की डीडवाना तहसील में गांव डाबड़ा!एक कि...