Wednesday, May 9, 2018

जाटों के बारे में हेरोडोटस के विचार THOUGHT OF HERODOTAS ABOUT JAT`S

हैरोडॉटस इतिहास का पितामह इन्होने जाट के विषय में जो लिखा में अपने समाज से साझा करना चाहता हूँ ।
हैरोडॉट्स का जन्म 484ई. में ईरान के हालीकार्नस में हुआ था ।जो अब टर्की में है इनके पूर्वज यही आबाद थे यही क्षेत्र ऋसिक ,तुषार, कुंडू ,विर्क, जौहन,बेन, खोखर आदि गोत्रो का गढ़ रहा था ।
जाट /जट्ट योद्धा कबीले अच्छी उपजाऊ जमीनों की तलाश में बाहर विश्व के दुसरे भागो में जाकर बसे व् आबाद हुए । इस बात की पुष्टि इंग्लैण्ड द्वारा रूस के साईबेरिया क्षेत्र के कजाकिस्तान से लगते भाग में 20 -25 वर्षो तक करवाई गयी तथा शोधकर्ताओ ने भी इंग्लैण्ड के लिखे साक्ष्यो को सत्यापित किया ।तथा हैरोडॉट्स की लिखी लिपि वद्ध जाट इतिहास को ठोस प्रमाण माना व् सत्यापित किया ।
इस्टोनिया के तत्रतू विश्विद्यालय से जाट इतिहास और हैरोडॉट्स से सम्बंधित एक शोध पत्र प्रकाशित हुआ है जिसमे सभी प्रमाण सही पाए व् बताये गए है ।
ई. पू. जट्टो के पूर्वज योद्धाओ ने भारत से चलकर तुर्की में आबाद हुए वहा से आगे बढ़कर यूनान पहुचे ।
इन जट्टो का काम कृषि व् पशुपालन था समय आने पर इन्होने अपने क्षेत्र की रक्षा के लिए हथियार भी उठाये ।यूनान में जट्टो को गेटे भी कहते है जाट और जट्ट ,जेटे का अपभ्रंश गेटे हो गया ।
इन्ही गेटे के यूनान में 40 गोत्रो की सूची पत्रकार प्रताप सिंह शास्त्री ने भी अपनी पुस्तक 'जाटो का इतिहास एवं समकालीन संदर्भ' में पृष्ठ 44-45 पर दी है ।
हैरोडॉटस की आयु कुल 60 वर्ष थी इन्होने अपने जीवन में बड़ी खोजे की तथा बहुत कुछ लिखा उस युग में इन्होने केवल यूनानी भाषा में ही लिखा था इन्होने अपने लिपि वद्ध इतिहास को अनेको देशो में पहुचाया इनकी पुस्तके भारत के तक्षशिला ,नालंदा विश्वविद्यालयों में भी आई थी यहाँ के पुस्तकालय आठवी शताब्दी में भारत में जब बौद्ध धर्म एक हजार वर्षो तक रहा जब 698 ई. में नव ब्राहमण/प्रमाडिक धर्म का पुनरोत्थान हुआ तो इन दुष्टों ने इन विश्व में महानतम पुस्तकालयों को आग की भेट कर दिया था यूनान में जाटो की विद्यमानता 529 ई. पू. महारानी तोमरिया ,दहिया से प्रमाणित होती है जब सिकंदर ने 330 ई. पू. अपना विश्व में अपना विजय अभियान शुरू किया ।उस समय उस क्षेत्र में जट्टो के प्रमाण प्रचुर मात्रा में मौजूद थे यूनान में जमीदारो को मेड के नाम से पुकारा जाता था हैरोडॉटस ने फारस/पारस/ईरान के मन्ड जट्ट राजाओ का इतिहास भी लिखा है ।इसी कारण इनको इतिहास का पितामह का दर्जा पूरे विश्व में दिया गया है ।
ग्रीको की मूल भाषा वास्तव में पारस से ही सम्बन्ध रखती है अलगंजदरिया में भी 'द हिस्ट्री ऑफ़ हैरोडॉटस ' जो उन्होंने 440 ई. पू. में लिखी थी इसका दूसरी भाषाओ विशेषकर अंग्रेजी में अनुवाद 'वर्ड जार्ज रेवोलेंशन' टेबल ऑफ़ कोंटेक्टर बुक नम्बर 5 के पृष्ठ नं. 1 के तीसरे व् चौथे पहरे में किया हुआ है कि जाट विश्व की शक्तिशाली ग्लोबल रेस है इनका सम्बन्ध सेंट्रल एशिया से है हैरोडॉटस ने अपने ग्रंथो में लिखा है कि जब जब ये जट्ट कबीले इकट्ठे हुए इनके सामने विश्व में कोई नहीं टिका ,अपनी ताकत व् एकता के दम पर जट्ट कौम विश्व विजेता बनी
भारत की ही तरह पश्चिमी देशो में भी कुल वंश तथा गौत्र ,उप जाति, उपकास्ट, सब कास्ट का सिस्टम उन क्षेत्रो में आज भी प्रचलित है ।
हैरोडॉटस ने लिखा है कि ये जट्ट घोड़े के बिना खुद को अधूरा मानते थे विश्व में युद्धों में घोड़े ,हाथी आदि पशुओ की भागीदारी भी इन जट्टो ने दुनिया के शासको को सिखाई ।
क्युकी ये पशुपालक थे इनके यहाँ क्बीलियाई प्रथा थी कबीले(झुण्ड)के सरदार की बात सभी मानते थे ये लोग एक ईश्वरवादी थे जो आज भी है ये अपने पूर्वज शिव को पूजते थे जिसके प्रमाण आज भी यूनान ,यूरोप, एशिया में मौजूद है इनके कबीलों में महिलाओ को बराबर की भागीदारी थी जो परिवार साथ उठते बैठते थे खाते पीते थे उनसे ये खून का रिश्ता मानते थे तथा दुसरे जट्ट कबीलों में अपनी कन्याओ के विवाह करते थे जो सिस्टम आज भी इनके कल्चर में विधमान है ।
ये जट्ट कबीले विश्व में कही भी जहा इनका राज था इन्होने पोप की लीलाओ ,वामधर्मियो, पुरोहितो, पुजारियो, प्रमाणिको को कभी अपने साम्राज्य में पनपने नहीं दिया ये लोग अपने कर्म, भुजा बल एकईश्वर वाद में विश्वास रखते थे ।
वक़्त के बदलते स्वरूप में इन पाखंडियो ने असली इतिहास को मिटाकर पाखंड ,आडम्बर भय की दशा को बढ़ावा दे दिया जिसका शिकार आज सारा विश्व है इन्होने अपने अपने ज्ञानानुसार धर्म और उसके नियमनुसार ईश्वर खड़े कर दिए ।
पगड़ी सम्भाल जट्टा
दुश्मन पहचान जट्टा
अपना अतीत पढ़ वर्तमान सुधार और भविष्य जीत जट्टा
दिनेश बैनीवाल (जाटिज्म वाला जट्टा)

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