जगवंदनी माता पेमल के अवतरण पर्व पर पावन वंदन।
बेशाखा री पुनम उजळी,प्रगटी झांझर गोत मायं।
रायमल जी री लाडकङी,शहर पनेरा करे अठखेल।
लाछुङी ठिठोळी करे,कद आवेला थ्हारा छेल।।
गढ खरनाळो रो कँवरो,जाट कहिजे जोर।
लीलण राख बो घोङली,साफो राख पिचरंग मोर।।
तिन महिना आंतरे पहला जल्मयो तेजल शुर।
सती पेमल आवयी धर्म निभावण पुर।।
नाग घाट परणिज्या, काके लियो तेजल हाथ।
तिन महिना री लाडली,माता गोद हरसाय।।
हुया मोट्यार तेजल जी पधारिया शहर पनेर।
लीलण कुळचां मारती हेरियो सासरो फेर।।
बाता करती संखिया मिली उपवन रे मायं।
भला पधारिया जीजाजी झुक-झुक प्रणाम।।
हरसायी पेमल गोरङी पिया मिलन री आस।
आङी बोली ए मावङी हिवङे गडगी पांस।।
पाछि गिरगी लीलङली ले तेजल ने असवार।
भेगी जाय ये लाछुङी परण्यो मारो पाछो जाय।।
घणा बादिला ओ जिजाजी मत न पाछा जाओ थ्हे।
पेमल झुर झुर रोवती नेणा बरसे मेह।।
चालो म्हारै आंगणे बहनङली लाछा जाण।
पेमल बाता जोवे मत बजाओ थ्हे म्हारी आण।।
बेशाखा री पुनम उजळी,प्रगटी झांझर गोत मायं।
रायमल जी री लाडकङी,शहर पनेरा करे अठखेल।
लाछुङी ठिठोळी करे,कद आवेला थ्हारा छेल।।
गढ खरनाळो रो कँवरो,जाट कहिजे जोर।
लीलण राख बो घोङली,साफो राख पिचरंग मोर।।
तिन महिना आंतरे पहला जल्मयो तेजल शुर।
सती पेमल आवयी धर्म निभावण पुर।।
नाग घाट परणिज्या, काके लियो तेजल हाथ।
तिन महिना री लाडली,माता गोद हरसाय।।
हुया मोट्यार तेजल जी पधारिया शहर पनेर।
लीलण कुळचां मारती हेरियो सासरो फेर।।
बाता करती संखिया मिली उपवन रे मायं।
भला पधारिया जीजाजी झुक-झुक प्रणाम।।
हरसायी पेमल गोरङी पिया मिलन री आस।
आङी बोली ए मावङी हिवङे गडगी पांस।।
पाछि गिरगी लीलङली ले तेजल ने असवार।
भेगी जाय ये लाछुङी परण्यो मारो पाछो जाय।।
घणा बादिला ओ जिजाजी मत न पाछा जाओ थ्हे।
पेमल झुर झुर रोवती नेणा बरसे मेह।।
चालो म्हारै आंगणे बहनङली लाछा जाण।
पेमल बाता जोवे मत बजाओ थ्हे म्हारी आण।।
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