आजकल सामाजिक कार्यक्रम में दिखावा हावी होता जा रहा है हर कोई व्यक्ति दिखावे के लिए धन की धरोहर की, संपत्ति की बर्बादी करता है हर व्यक्ति को ऐसा लगता है कि पड़ोसी ने इतना खर्चा किया है कितने तरह के व्यंजन बनाए हैं इससे ज्यादा करूंगा दूसरों की देखा-देखी छोटे से सामाजिक कार्यक्रम में बहुत सारे लोगों को बुलाकर तरह तरह के व्यंजन बनाकर फिर खाने को जूठा छोड़ दिया जाता है अन्न की बर्बादी होती है ,पैसों की बर्बादी होती है
✍✍#नशा सबसे खतरनाक है कल की घटना है एक मुकलावे का कार्यक्रम था सिर्फ 3 घंटों में 10000 के डोडा पोस्त का सेवन कर लिया गया ₹10000 से किसी गरीब व्यक्ति की जिंदगी या यूं कहें कि किसी युवक का कोई छोटा मोटा धंधा भी शुरू किया जा सकता था 3 घंटे में ₹10000 का नुकसान कितना भयानक है यह घटना सच्ची है ,लोग दिखावे के लिए ना जाने किस किस तरह के नाटक करते हैं और पैसों की बर्बादी करते हैं यदि उन्हीं लोगों से किसी गरीब मजलूमों की मदद के लिए पैसे मांगने जाएं तो ₹1 भी देने के लिए तैयार नहीं होंगे किसी गरीब विद्यार्थी की मदद के लिए ₹1 भी नहीं दे सकते और 10 से 20 हजार का 1 दिन में नशा करवा सकते हैं समाज में अपना रौब जमाने के लिए यह सब किया जाता है और किसी भी छोटे कार्यक्रम में जहां परिवार का एक सदस्य पर्याप्त होता है वहां पूरे क्षेत्र के पूरे परिवार उस कार्यक्रम में शामिल होकर खर्चा बढ़ाते हैं एक परिवार से एक सदस्य इकट्ठा हो जाए तो भी कार्यक्रम अच्छे से संपन्न किया जा सकता है आज किसी के घर पूरे गांव के पूरे परिवार खाने पर इकट्ठे होते हैं तो कल किसी और के घर भी होंगे और पैसे वाले लोग तो अपनी धाक जमाने के लिए पूरे गांव को बुलाते हैं और गरीब बेचारा मजबूरी में सिर पर कर्ज लेकर सब कुछ करवाता है फिर भी उनके कार्यक्रम में गलतियां निकालने की ,उनको नीचा दिखाने की हरकतें लोग करते हैं
कई बार मैं देखता हूं कि नशा इतना नहीं होता है जितना किसी कार्यक्रम में किया जाता है आमतौर पर मैं देखता हूं कि जितने भी डोडा पोस्त के नशेड़ी है वे एक दूसरे को लोगों को जबरदस्ती डोडा पोस्त पिलाते हैं जो गैर नशेड़ी है उनको भी जबरदस्ती डोडा पिलाते हैं और कई बार बिल्कुल थोड़ा उपयोग करने के बाद डोडा पोस्ट को फेंक दिया जाता है और उनका पूरा रस नहीं निकाला जाता है इसके पीछे नशेड़ियों की नियत में खोट है वह चाहते हैं कि इसके घर हो सके जितना नुकसान किया जाए जो लोग समाज में रहते हैं उठते बैठते हैं उन्हें यह सब घटनाएं मालूम होती है ।।
लेकिन कई बार मैं यह भी देखता हूं कि कई लोग अपने स्वार्थ के लिए नशेड़ी लोगों का समर्थन करते हैं और समाज के जागरूक युवाओं की मुहिम को रोकने की कोशिश करते हैं यह उनकी आवाज को दबाने की कोशिश की जाती है और बड़े बुजुर्गों के सामने उनको बदनाम करने की साजिश भी होती रहती है सामाजिक कार्यक्रमों में नेत्रा प्रथा वस्त्र , वस्तुओं के आदान-प्रदान की प्रथा शादी में अमीर लोग अपनी तरफ से ज्यादा करने की कोशिश करते हैं और फिर गरीब व्यक्ति वापस उनकी स्थिति में नहीं पहुंच पाता है को कर्ज लेकर अदला-बदली चुकानी पड़ती है कई बार मैं लोगों से यह बात भी सुनता हूं कि किसी दूसरे के घर उनके लिए कम पैसों के कपड़े लेकर जाएंगे और वापस उनसे अच्छे कपड़ों की उम्मीद करते हैं मेरी नजर में यह दोगलापन है हम तो यही प्रयास कर रहे हैं कि लोग जागरुक हो सामाजिक जानकारी हो आप से रिश्ते मजबूत हो और यह दिखावटीपन की संस्कृति जो हावी हो रही है इस पर अंकुश लगाया जाए शादी समारोह में दिखावा कतई उचित नहीं है हम हमेशा सकारात्मक बात करने की कोशिश करते हैं हो सकता है कोई भूल हमसे भी हो जाए लेकिन एक भूल से किसी भी आदमी को गलत नहीं ठहराया जा सकता लेकिन कुछ लोग पूरी पोस्ट पढ़ने के बाद सीधे नकारात्मक टिप्पणी करते हैं बड़ी से बड़ी सकारात्मक पोस्ट उनके लिए कोई मायने नहीं रखती लेकिन हमने लोगों को जगाने का जो बीड़ा उठाया है दूर तक जाएंगे।।
आपके #सुझाव सादर आमंत्रित है आपके सुझाव दीजिए और अच्छी लगे तो पोस्ट शेयर कीजिए।।
✍✍#नशा सबसे खतरनाक है कल की घटना है एक मुकलावे का कार्यक्रम था सिर्फ 3 घंटों में 10000 के डोडा पोस्त का सेवन कर लिया गया ₹10000 से किसी गरीब व्यक्ति की जिंदगी या यूं कहें कि किसी युवक का कोई छोटा मोटा धंधा भी शुरू किया जा सकता था 3 घंटे में ₹10000 का नुकसान कितना भयानक है यह घटना सच्ची है ,लोग दिखावे के लिए ना जाने किस किस तरह के नाटक करते हैं और पैसों की बर्बादी करते हैं यदि उन्हीं लोगों से किसी गरीब मजलूमों की मदद के लिए पैसे मांगने जाएं तो ₹1 भी देने के लिए तैयार नहीं होंगे किसी गरीब विद्यार्थी की मदद के लिए ₹1 भी नहीं दे सकते और 10 से 20 हजार का 1 दिन में नशा करवा सकते हैं समाज में अपना रौब जमाने के लिए यह सब किया जाता है और किसी भी छोटे कार्यक्रम में जहां परिवार का एक सदस्य पर्याप्त होता है वहां पूरे क्षेत्र के पूरे परिवार उस कार्यक्रम में शामिल होकर खर्चा बढ़ाते हैं एक परिवार से एक सदस्य इकट्ठा हो जाए तो भी कार्यक्रम अच्छे से संपन्न किया जा सकता है आज किसी के घर पूरे गांव के पूरे परिवार खाने पर इकट्ठे होते हैं तो कल किसी और के घर भी होंगे और पैसे वाले लोग तो अपनी धाक जमाने के लिए पूरे गांव को बुलाते हैं और गरीब बेचारा मजबूरी में सिर पर कर्ज लेकर सब कुछ करवाता है फिर भी उनके कार्यक्रम में गलतियां निकालने की ,उनको नीचा दिखाने की हरकतें लोग करते हैं
कई बार मैं देखता हूं कि नशा इतना नहीं होता है जितना किसी कार्यक्रम में किया जाता है आमतौर पर मैं देखता हूं कि जितने भी डोडा पोस्त के नशेड़ी है वे एक दूसरे को लोगों को जबरदस्ती डोडा पोस्त पिलाते हैं जो गैर नशेड़ी है उनको भी जबरदस्ती डोडा पिलाते हैं और कई बार बिल्कुल थोड़ा उपयोग करने के बाद डोडा पोस्ट को फेंक दिया जाता है और उनका पूरा रस नहीं निकाला जाता है इसके पीछे नशेड़ियों की नियत में खोट है वह चाहते हैं कि इसके घर हो सके जितना नुकसान किया जाए जो लोग समाज में रहते हैं उठते बैठते हैं उन्हें यह सब घटनाएं मालूम होती है ।।
लेकिन कई बार मैं यह भी देखता हूं कि कई लोग अपने स्वार्थ के लिए नशेड़ी लोगों का समर्थन करते हैं और समाज के जागरूक युवाओं की मुहिम को रोकने की कोशिश करते हैं यह उनकी आवाज को दबाने की कोशिश की जाती है और बड़े बुजुर्गों के सामने उनको बदनाम करने की साजिश भी होती रहती है सामाजिक कार्यक्रमों में नेत्रा प्रथा वस्त्र , वस्तुओं के आदान-प्रदान की प्रथा शादी में अमीर लोग अपनी तरफ से ज्यादा करने की कोशिश करते हैं और फिर गरीब व्यक्ति वापस उनकी स्थिति में नहीं पहुंच पाता है को कर्ज लेकर अदला-बदली चुकानी पड़ती है कई बार मैं लोगों से यह बात भी सुनता हूं कि किसी दूसरे के घर उनके लिए कम पैसों के कपड़े लेकर जाएंगे और वापस उनसे अच्छे कपड़ों की उम्मीद करते हैं मेरी नजर में यह दोगलापन है हम तो यही प्रयास कर रहे हैं कि लोग जागरुक हो सामाजिक जानकारी हो आप से रिश्ते मजबूत हो और यह दिखावटीपन की संस्कृति जो हावी हो रही है इस पर अंकुश लगाया जाए शादी समारोह में दिखावा कतई उचित नहीं है हम हमेशा सकारात्मक बात करने की कोशिश करते हैं हो सकता है कोई भूल हमसे भी हो जाए लेकिन एक भूल से किसी भी आदमी को गलत नहीं ठहराया जा सकता लेकिन कुछ लोग पूरी पोस्ट पढ़ने के बाद सीधे नकारात्मक टिप्पणी करते हैं बड़ी से बड़ी सकारात्मक पोस्ट उनके लिए कोई मायने नहीं रखती लेकिन हमने लोगों को जगाने का जो बीड़ा उठाया है दूर तक जाएंगे।।
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