सरकारी गद्दारी पर भारी जाटों की ईमानदारी.....
आज हरियाणा का जाट जिस सोशल इंजीनियरिंग से जूझ रहा है वो वाकई एक अजीब तरह की जंग है!किसी भी लोकतांत्रिक देश मे आपको एक भी ऐसा उदाहरण नहीं मिलेगा जहाँ सत्ता रेडिकल संगठनों के साथ मिलकर,दूसरे समुदायों को आगे करके मीडिया के माध्यम से एक ऐसे समुदाय को दबाने की कोशिश में लगी है जिसका इतिहास ही भारत का इतिहास है,जिसका वर्तमान ही भारत का वर्तमान है और उसी समुदाय के कंधों पर भारत का भविष्य टिका हुआ है।
फरवरी 2016 में लोकतांत्रिक तरीके से शांतिपूर्वक किये जा रहे आंदोलन को रेडिकल संगठनों के गुंडों के माध्यम से भड़काकर हिंसक बनाया गया।एक सुनियोजित तरीके से एक स्वाभिमानी कौम को चुनौती दी गई,उसके स्वाभिमान पर चोट की गई थी और क्रिया-प्रतिक्रिया की आग में पूरा हरियाणा जल उठा।पूरा उत्तर भारत बड़ी अनहोनी की आहट से ठहर सा गया था!रेडिकल संगठनों के गुंडों ने मनुवादी लोगों के साथ मिलकर खुद की दुकानों/प्रतिष्ठानों को आग लगाकर मोटा मुआवजा लूट लिया।हरियाणा में मुआवजे के अलावे इन लोगों का प्राचीन धंधा तो ठप्प सा हो गया था इसलिए झूठे बलात्कार केस,झूठे चोरी,लूट,हत्याओं के केस मीडिया के माध्यम से उछाल कर जाट जैसी स्वाभिमानी,ईमानदार, मेहनतकश व देशभक्त कौम को बदनाम करके उसकी आड़ में मुआवजे की फसलें काटी गई थी।
इसी प्रकार का खेल आजादी से पूर्व कांग्रेस के नेताओं ने जाटलैंड में खेला था लेकिन चौधरी छोटूराम ने सर हयात खान के साथ मिलकर इन मंडी-फंडी के लोगों को आइना दिखाया था।आजादी के बाद कांग्रेसी मनुवादियों ने सिक्ख जाटों को बदनाम करके उकसाया!सिक्ख जाटों को देशद्रोही/आतंकी बताकर सेना को उतारा गया!हजारों शहादतों के बाद भी सिक्ख जाट कौम दुबारा दुगुने जोश के साथ सिर्फ खड़ी ही नहीं हुई बल्कि पूरी दुनियां में स्वाभिमानी ईमानदार कौम के रूप में अपनी पहचान रखती है।इसका सबसे बड़ा सबूत है कि कठुआ रेप कांड को हिन्दू मुस्लिम एंगल देने की कोशिश हुई तो स्वत्रन्त्र व ईमानदार जांच के लिए दो सिक्ख अधिकारियों की नियुक्ति की मांग की गई।
35बनाम एक के नारे की आड़ में मुआवजे मिलते ही पाखंडी लोग बैठकर खाने में व्यस्त हो गए और हरियाणा के जाटों ने तमाम बदनामियों से बिना निराश हुए,तमाम झूठे सरकारी मुकदमों को झेलते हुए बिना मायूस हुए खेलों की तैयारी में लगे रहे रोज जिस प्रकार कॉमनवेल्थ खेलों में मैडल जीतकर देश के नाम कर रहे है।जाट अगर जंग के मैदान में उतरा तो दुनियाभर में उसका लोहा मनवाया,जाट अगर खेलों के मैदान में उतरा तो दुनियाँ जाटों की प्रतिभा को नतमस्तक होकर सलाम ठोक रही है।आजादी से पूर्व व आजादी के बाद देश की रक्षार्थ अगर किसी कौम ने बलिदान दिया है तो वो जाट कौम है।जाट कभी भी कुर्सियों के भूखे नहीं होते बल्कि जाट अपने स्वाभिमान-सम्मान को सर्वोपरि रखते है।चौधरी देवीलाल ने प्रधानमंत्री की कुर्सी वीपी सिंह को सौंप दी थी।इससे बड़ा सबूत क्या होगा!
आज तीन खबरे विभिन्न माध्यमों से मेरे सामने आई।
1.जाटों ने चौधरी छोटूराम व मनोज दुहन के पोस्टर के साथ हरियाणा व केंद्र सरकार द्वारा जाटों पर दमन की कार्यवाही का संयुक्त राष्ट्र संघ के मुख्य हॉल में घुसकर विरोध किया!
2.कॉमनवेल्थ खेलों में जाटों ने 25से ज्यादा मैडल जीते जिसमे 18से ज्यादा गोल्ड मेडल है।
3.हरियाणा की खट्टर सरकार ने खेलों को प्रोहत्सान देने की हरियाणा सरकार की नीति में संशोधन करके अन्तराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं में मैडल जीतने वाले खिलाड़ियों को डीएसपी व एसडीएम न बनाने की नीति तय कर दी।
1.जाटों ने चौधरी छोटूराम व मनोज दुहन के पोस्टर के साथ हरियाणा व केंद्र सरकार द्वारा जाटों पर दमन की कार्यवाही का संयुक्त राष्ट्र संघ के मुख्य हॉल में घुसकर विरोध किया!
2.कॉमनवेल्थ खेलों में जाटों ने 25से ज्यादा मैडल जीते जिसमे 18से ज्यादा गोल्ड मेडल है।
3.हरियाणा की खट्टर सरकार ने खेलों को प्रोहत्सान देने की हरियाणा सरकार की नीति में संशोधन करके अन्तराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं में मैडल जीतने वाले खिलाड़ियों को डीएसपी व एसडीएम न बनाने की नीति तय कर दी।
इन तीनों खबरों के माध्यम से आप समझ सकते हो कि जाट समाज कहाँ खड़ा है व हरियाणा की खट्टर सरकार व केंद्र की मोदी सरकार का जाट समाज के प्रति रुख क्या है?जाट आरक्षण आंदोलन के बाद केंद्रीय मंत्रियों की उपस्थिति में खट्टर ने कई दौर की वार्ताएं की।झूठे मुकदमों को हटाने के कई वादे किए,कई तारीखें दी लेकिन जमीनी हालात बद से बदतर होते गए।सरकार ने आजतक एक भी वादे को पूर्ण रूप से लागू नहीं किया।बल्कि एक अघोषित नीति के तहत हर मोड़ पर जाटों की राह में रोड़ा अटकाया जा रहा है।यह जाटों के हरियाणा व केंद्र की सरकार पर से उठे भरोसे का नतीजा है कि जाटों को संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत सरकार के कार्यक्रम का विरोध करना पड़ा।मनुवादी सरकार की हद दर्जे की नीच मानसिकता देखिए कि मैडल जीते जाट खिलाड़ी डीएसपी-एसडीएम न बन जाये इसलिए खेल नीति ही बदल दी जबकि हरियाणा सरकार को गर्व के साथ खिलाड़ियों के लिए प्रोहत्सान व इनामों की झड़ी लगानी चाहिए थी ताकि हरियाणा के साथ-साथ पूरे देश के युवाओं को प्रेरणा मिलती!
यह जाट समाज है और अपनी चाल में मदमस्त होकर चलता है।कई सरकारे आई और गई लेकिन जाट समाज बिना विचलित हुए अपने न्याय,एक्शन और सत्यवादिता के सिद्धांत पर डटा रहा है और आगे भी डटा रहेगा।वतन की मिट्टी से मोहब्बत करने वाली जुझारू कौम की प्रतिभा खुद बोलती है किसी भाड़े के भांडों,मनुवादी मीडिया,पाखंडी सरकारों के हाथों से इनाम की मोहताज नहीं है।जब जब देश पर संकट आया है सब पाखंडी लोग गुफाओं में छिपे है व जाटों ने मोर्चा संभाला है और देश की अस्मिता पर कभी आंच नहीं आने दी और भविष्य में भी यही जाट कौम देश के नाम को दुनियाँ में रोशन करती रहेगी व तिरंगे की आन,बान व शान बरकरार रखेगी।
अंत मे एक कहावत के माध्यम से बात खत्म करना चाहता हूँ।इसमें हरियाणा की खट्टर सरकार,केंद्र की मोदी सरकार व आरएसएस के लिए संदेश छुपा हुआ है।परिवार वालों ने सोचा कि हम काम धंधे में लगे हुए है और छोटे बच्चे को पडौसी हिजड़ों को सौंप देते है ताकि इन बेचारों को भी बच्चा खेलने के लिए मिल जाएगा और हम भी चिंतामुक्त होकर कामधंधा कर लेंगे।बच्चा हिजड़ों को सौंपकर परिवार वाले खेत मे चले गए और शाम को घर आये तो पता चला कि हिजड़ों ने तो बच्चे को चूम-चूमकर ही मार दिया इनको यही समझ मे नहीं आया कि बच्चे को खिलाना पिलाना भी होता है!यही बच्चा सौंपने वाली गलती जाटों ने कर डाली!जाट जब हिसाब करता है तो यकीन मानिए दुनियाँ की सबसे बेहतरीन न्यायप्रणाली के तहत करता है।
प्रेमाराम सियाग
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