इंडियन मिलिट्री एकेडमी देहरादून में आयोजित पासिंग आउट परेड में 4 वर्ष की ट्रेनिंग के बाद बाड़मेर किसान के बेटे ने बताया गौरव कम से कम मजदूरी में रेत के ट्रक भी खाली किए कड़ी मेहनत से आयुष जिले के पहले पैरा कमीशंड ऑफिसर कहते हैं कड़ी मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती है जिसे सार्थक कर दिखाया जिले करो कि ढाणी सिणधरी के रहने वाले आयुष आयुष ने अपना बचपन का पिता राम चारण किसान है जिनके पास इतने पैसे नहीं थे कि उसको पढ़ाई पढ़ाई पढ़ाई लेकिन आई उसकी पढ़ाई के प्रति ललक इतनी थी कि वह कम पेपर मजदूरी के लिए गया बजरी के ट्रक खाली थी और अपनी पढ़ाई को निरंतर जारी रखा गांव में स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद सीनियर सेकेंडरी स्तर की पढ़ाई बाड़मेर से कि इसके बाद जुलाई 2014 से आई एन ए में प्रशिक्षण डेट है इस ट्रेनिंग के दौरान आयोजित गतिविधियों और प्रदर्शन के आधार पर अलग-अलग रेजीमेंट के लिए चयन होता है कड़ी मेहनत उत्साह और कार्यकुशलता के कारण आयुष चौधरी को भारत के सबसे मजबूत कही जाने वाली रेजिमेंट टू बहराइच स्पेशल फोर्स के लिए चयनित किया गया शनिवार को इंडियन मिलिट्री एकेडमी देहरादून में आयोजित पासिंग आउट परेड में 4 वर्ष की ट्रेनिंग के बाद आयुष को लेफ्टिनेंट की रैंक प्रदान की गई देहरादून में आयोजित एक समारोह में मुख्य अतिथि के रुप में नेपाल के सेनाध्यक्ष जनरल राजेंद्र जी मौजूद रहे पाइपिंग माता की जोत और पिता राजू राम सारण बाड़मेर की पारंपरिक वेशभूषा में थे उनके साथ एनसीसी अधिकारी कैप्टन आदेश कुमार कैलाश कुमार आदि मौजूद रहे कैप्टन आदर्श किशोर जाणी 49 के संयोजक सुरेश सारण बनवाई थी कैलाश कुमार और सतवीर आदि मौजूद थे लेफ्टिनेंट आयुष का बाड़मेर के युवाओं के लिए संदेश राष्ट्र सेवा और जज्बे के लिए सर्वोत्तम क्षेत्र सहना है या हार्ड वर्क बहादुरी सासरे उत्साह से उस मुकाम पाया जा सकता है बाड़मेर के युवाओं में बहुत काबिलियत है लेकिन अभी तक वजन छोटा रहकर सिर्फ सेना में जवानों की भर्ती होते हैं उचित तैयारी से उन्हें सैन्य अधिकारी के रूप में आगे आना चाहिए इसके लिए बहुत सी भाषाओं को तोड़ा है इंग्लिश और लाइक क्वालिटी के लिए बहुत अभ्यास किया मन में एक ही धुन थी कुछ करके दिखाना है आज मैं बहुत खुश हूं मेरे माता-पिता का बहुत बड़ा तैयार है यह पैरा स्पेशल फोर्स पैरा स्पेशल फोर्स भारतीय सेना के सर्वोच्च लड़ाकू और खतरनाक क्लास को अंजाम देने वाली मानी जाती है मुंबई आतंकी हमले सर्जिकल स्ट्राइक और उरी हमले में पैरा ने अद्भुत पराक्रम का परीक्षा दिया था
बाड़मेर। बाड़मेर की मरुस्थली धरती जवानों की बहादूरी और साहस के लिए हमेशा से ही प्रसिद्ध रही है। अब इस धरती से सेना में अधिकारी के रूप में भी दस्तख दे दी है। यह कारनामा कर दिखाया है बाड़मेर जिले के नेहरों की ढाणी सिणधरी के राजूराम सारण और हीरों देवी के बेटे लेफ्टिनेंट आयुष सारण ने।
आयुष जिले के वो प्रथम व्यक्ति है जो पैरा में कमीशंड ऑफिसर बने है। दरअसल इंडियन मिलिट्री एकेडमी देहरादून में आयोजित पासिंग आउट परेड में चार वर्ष की कड़ी ट्रेनिंग के बाद आयुष को लेफ्टिनेंट की रैंक प्रदान की गई। दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि नेपाल के सेनाध्यक्ष जनरल राजेन्द्र चेती थे। पाइपिंग सेरेमनी के दौरान आयुष सारण की माता हीरों देवी और पिताजी राजूराम सारण बाड़मेर की पारंपरिक वेशभूषा में थे।
पाकिस्तान से लगी सीमा के जिले और निरक्षर किसान के बेटे द्वारा ऑफिसर बनने की खुशी में आईएमए तमाम अधिकारी उत्साहित होकर बधाईयाँ दे रहे थे। इतना ही नहीं आयुष सारण बाड़मेर में पढ़ाई के दौरान स्वयं मजदूरी करके खर्च वहन करता था। कभी कभार ट्रक खाली करता तो कभी कमठे पर जाया करता था। गौरतलब है कि पैरा स्पेशल फोर्स भारतीय सेना की सर्वोच्च लड़ाकू और खतरनाक टास्क को अंजाम देने वाली मानी जाती है। मुम्बई आतंकी हमले, सर्जिकल स्ट्राइक और उड़ी हमले में पैरा ने अद्भुत पराक्रम का परिचय भी दिया था।
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