वीर प्रसूता मारवाड़ की धरा।।
एक फ़रिश्ता धरती पर उतरा।।
गाँव भणियाणा में बाबा ने जन्म लिया।
जन सेवार्थ जीवन समर्पित किया।
सन् 1939 बलदेवराम से हुई मुलाकात ।
शिक्षा,समाज हित की हुई बात।।
बाबा ने किया सामन्तों का सामना।
मन में थी किसान हित की कामना ।।
चरम सीमा पर था सामंती अत्याचार।
बाबा ने किया किसानों का उद्धार।।
जागीरी प्रथा का विरोध और बंद किया लगान।
शपथ ली, नहीँ होने दूँगा किसानों का अपमान।।
उनके इस फैसले से सामन्त हुए नाराज ।
किसानों का भला नहीं चाहता था सामंती राज।।
किसानों और सामन्तों का केस सुप्रीम कोर्ट तक चला।
किसानों को न्याय मिला,बाबा का जादू चला।।
किसान जीत गए और हारा सामंत राज।
बाबा के सर सजा जीत का ताज।।
किसानों का दमन और अत्याचार।
बाबा खरथाराम को नहीं था स्वीकार।।
हाथ ले चले बदलाव और संघर्ष की मशाल।
असफल होता गया सामंती जाल।।
बलदेवराम जी जागृति हेतु तारातरा आए।
विरोध में सामंतों में जाटों के घर जलाए।।
निष्ठुर होकर सामन्त कर रहे थे दमन।
बाबा का अभियान था जागे जन-जन।।
खुद अनपढ़ लेकिन गाँव-गाँव अलख जगाई।
उन्हीं की बदौलत शैक्षिक क्रांति आई।।
उन्होंने जगह-जगह स्कूल खुलवाए।
ताउम्र जनहित के कार्य करवाए।।
35 साल तक रहे भणियाणा के सरपंच।
बाबा की बदौलत खत्म हुआ सामंती दंश।।
डाकू ओमपुरी से जनता को छुटकारा दिलाया।
जनसेवार्थप्रधानमंत्री से सम्मान पाया।।
21 जुलाई 2017 को हुआ निधन।
नम आँखों से विदाई दे रहा था जन-जन।।
खड़ा था हर कोई आँखे नम लिए।
श्रद्धासुमन अर्पित किए दिलों में गम लिए।।
कोई उनके संघर्ष को शब्दों में बांध न पाए।
रामलाल जाणी बाबा की महिमा सुनाए।।
बाबा की जीवनी लिखी सारण जोगाराम।
हम करते हैं उनको लेखनी से सलाम।।
सदैव याद करता रहेगा किसान-जवान।
जीवनी में है बाबा का संघर्ष गान।।
एक फ़रिश्ता धरती पर उतरा।।
गाँव भणियाणा में बाबा ने जन्म लिया।
जन सेवार्थ जीवन समर्पित किया।
सन् 1939 बलदेवराम से हुई मुलाकात ।
शिक्षा,समाज हित की हुई बात।।
बाबा ने किया सामन्तों का सामना।
मन में थी किसान हित की कामना ।।
चरम सीमा पर था सामंती अत्याचार।
बाबा ने किया किसानों का उद्धार।।
जागीरी प्रथा का विरोध और बंद किया लगान।
शपथ ली, नहीँ होने दूँगा किसानों का अपमान।।
उनके इस फैसले से सामन्त हुए नाराज ।
किसानों का भला नहीं चाहता था सामंती राज।।
किसानों और सामन्तों का केस सुप्रीम कोर्ट तक चला।
किसानों को न्याय मिला,बाबा का जादू चला।।
किसान जीत गए और हारा सामंत राज।
बाबा के सर सजा जीत का ताज।।
किसानों का दमन और अत्याचार।
बाबा खरथाराम को नहीं था स्वीकार।।
हाथ ले चले बदलाव और संघर्ष की मशाल।
असफल होता गया सामंती जाल।।
बलदेवराम जी जागृति हेतु तारातरा आए।
विरोध में सामंतों में जाटों के घर जलाए।।
निष्ठुर होकर सामन्त कर रहे थे दमन।
बाबा का अभियान था जागे जन-जन।।
खुद अनपढ़ लेकिन गाँव-गाँव अलख जगाई।
उन्हीं की बदौलत शैक्षिक क्रांति आई।।
उन्होंने जगह-जगह स्कूल खुलवाए।
ताउम्र जनहित के कार्य करवाए।।
35 साल तक रहे भणियाणा के सरपंच।
बाबा की बदौलत खत्म हुआ सामंती दंश।।
डाकू ओमपुरी से जनता को छुटकारा दिलाया।
जनसेवार्थप्रधानमंत्री से सम्मान पाया।।
21 जुलाई 2017 को हुआ निधन।
नम आँखों से विदाई दे रहा था जन-जन।।
खड़ा था हर कोई आँखे नम लिए।
श्रद्धासुमन अर्पित किए दिलों में गम लिए।।
कोई उनके संघर्ष को शब्दों में बांध न पाए।
रामलाल जाणी बाबा की महिमा सुनाए।।
बाबा की जीवनी लिखी सारण जोगाराम।
हम करते हैं उनको लेखनी से सलाम।।
सदैव याद करता रहेगा किसान-जवान।
जीवनी में है बाबा का संघर्ष गान।।
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