Monday, July 23, 2018

उलझन ओर सवाल ? जट्ट नश्ल

उलझन ओर सवाल ?
जाट ईश्वर के रूप जो किसी एजेंट के द्वारा बनाया गया हो नही मानता ।जाट मूर्तिपूजक सिर्फ इसीलिए नही है क्योंकि जाट पृकृतिपूजक है ।आस्था के नाम पर गांव में दादा खेड़ा,भूमिया,जठेरा,पीर,चामड़, जहां दूध और अन्न का अंश इसीलिए चढ़ता रहा है कि पृकृतिं जो हमारी मेहनत के बाद हमे देती है। सब उसी आस्था से जुड़ा है। जाट जमीन और पानी से जुड़ी नस्ल है। इसके उत्सव भी नदियों किनारे होते रहे है ।


मौले जट्ट ये सोचे जो आज के वक़्त हालात है वो कैसे अपनी परम्पराओ अपने कस्टम्स से बिछड़ गए ,धूर्त मुल्लो ने अपने अपने 72 फिरके तय कर लिए सिर्फ अपने अपने वर्चस्व नाम और धन के लिए ।तुम्हे क्या मिला किसी धड़े में शामिल होकर ,खुदा को मानो पर किसी के फैलाये भ्रम जाल के जरिये नही ,पुरखो के आधार पर ,बहुत कुछ है लेकिन आपको समझना होगा। युवा जट्ट भाइयो से अपील है वो आगे बढ़े और जीवनशैली को बेहतर करे ।धूर्त धर्मवादियो के किताब के फैलाये झूठे पन्नो से परहेज करें ।

वैदिक जाट समझे न गीता में मूर्ति पूजा है ,न ही वेद में मूर्ति पूजा है। जो व्यक्ति जन्म लेता है मरता है। वो ईश्वर नही हो सकता है महान हो सकता है।उन्हें आदर्श मानकर अपने कर्म करो ।धर्म के ठेकेदारों की आमदनी का जरिया बनाकर मंदिरों को दुकान मत बनाओ। ये बनियों की दुकान की तरह है ।पहले चढ़ावा फिर प्रार्थना करो ।तुम्हारा राजनैतिक इस्तेमाल धर्म के नाम पर हो रहा है ।तुम धर्म के नाम पर अपनी नस्ल से दूर होते जा रहे हो ।

जट्ट सिख वीरो से गहरा प्रश्न है आप विचलित न हो उत्तेजित न हो ।बस सोचे ओर अपनेपन से अपने भाई को जबाब दे ।
गुरु नानक की जो सिक्खी थी वो जट्ट बहुल इलाकों में ही शुरू हुई देहात से उन्होंने अपने ढंग से जीवन की सीख दी थी ।उसके बाद गुरु नानक की जाति के आधार पर उनके बहुत से अनुयायी शामिल हुए। बाद में 10 गुरु इसी आधार पर बने ।बाबा बुड्ढा सिंह रन्धावा जिन्होंने 7 गुरुओ को गद्दीनशीन किया ।गुरु ग्रन्थ साहब को ऐसे शानदार ढंग से संग्रहित किया ।कि हर धर्म और विचारधारा वाला नतमस्तक हो जाये। लेकिन उनकी शानदार शख्सियत को गुरु का दर्जा तक नही मिला ।कारण था जट्ट कभी अपने बारे में नही सोचते ,गुरु नानक की सिक्खी में ड्रेस कोड नही था जीवन को बेहतर वैज्ञानिक ढंग से जीने की सीख थी ।गुरु गोविंद सिंह के बाद लड़ने(रक्षा) के लिए एक अलग धड़ा बनाया गया था जिसमे ड्रेस कोड था और परिवार के बड़े लड़के को कुर्बानी के नाम पर लिया जाता था। जिसमे न जाने कितने मौले जाट शामिल हुए ,वैदिक जाट शामिल हुए। लड़ाकू कौम के कारण ,
आज हर एक सिक्ख उसी ड्रेस कोड को सिक्खी बयान करता है। गुरु नानक के बाद तो बनाबट आ गई थी ,हिन्दू के पन्डत की तरह सिक्खी के भाप्पो ने इस ढाँचे को बर्बाद कर दिया ।

भाप्पे सिक्ख बने कि उन्हें घमंड था कि सभी गुरु वो है,बाकि इसिलिए बने कि उन्हें हिन्दू व्यवस्था में सम्मान नही था नीचा समझा जाता था। गुरुद्वारों की ठहरने व लंगर व्यवस्था सबसे मजबूत आधार है सिक्खी का ,इन दोनों में सबसे अहम योगदान जट्ट का है। जितना अन्न हर वर्ष बोरिया भरकर जट्ट गुरुद्वारा पहुँचाते है। कितने गुरुद्वारों के लिए जमीन दी,कुर्बानियां दी ,12 मिसलों में से 11 मिसलों के रहबर होते हुए भी पूरी तरह से सबको मान दिया ।
आज के वक़्त पंजाब में जटटो की हालत किसानी की हालत बहुत बुरी है। भाप्पे धर्म के ठेकेदार है ,बाकि संविधान के नाम पर मजा ले रहे है।नोकरी लग रहे है। इनमे से कोई भी या कोई व्यवस्था जट्ट किसानो की मदद को आगे नही आते ।

जट्ट सिक्खों ने अपने कस्टम्स अपनी परम्पराओ विरासत के आधार पर अपनी जिंदगी जी है ।बाकि के सिक्ख इसीलिए इन्हें टारगेट करते है कि जट्ट सिक्ख अपनी लड़कियों की शादी इनमे कर दे ।क्यों भाई सिक्खी का मतलब यह तो नही कि जट्ट अपनी परम्पराओ को खत्म कर दे ।

विश्नोई जट्ट,जसनाथी जट्ट,आंजना जट्ट,किसी भी पन्थ का जट्ट हो जिस भी गुरु की संगत में बैठा जट्ट हो आप सभी से अपील है ।कि अपनी परम्पराओ को जियो ।अपनी बेटियों को अपनी जट्ट नस्ल में ब्याहों ।आप मानो कुछ भी संसार इसी तरह नही है जैसा ये धर्म पन्थ वाले बांधते है। जट्ट नस्ल हजारो साल पुरानी है जट्ट पृकृतिं उपासक है जो पहले भी सत्य था आज भी सत्य है। इंसान को या तो उसकी गलतीं या पृकृतिं ही समाप्त करतीं है।

जट्ट ने अलग अलग धर्मो ,गुरुओ, पन्थो,मजहबो में जाकर देख लिया है सिवाय मानसिक गुलामी के कुछ नही बचा है ।दुनिया मे बड़े बड़े पूंजीपति,बुद्धिजीवीं,धार्मिक,अधार्मिक लोग अपने अतीत को जानने के लिए डीएनए टेस्ट करा रहे है ।लेकिन जटटो तुम्हारी पहचान अभी तुमसे जुड़ी है क्योंकि हमारे पुरखे ओर बुजुर्ग इन सभी धर्म व पन्थ के ठेकेदारों से भी बेहतर थे।

वर्तमान में शिक्षा से अपना मुकाम हासिल करो, उच्च रोजगार हासिल करो ।खेलो में विश्व खेल जगत में ताकत बनकर उभरो,हर क्षेत्र में मेहनत करके बेहतर आर्थिक आय के भागीदार बनो ।भरोसा बढ़ाओ एक दूसरे की सहायता करो। हर बुराई को जट्ट नस्ल से खत्म करने के लिए मिलकर प्रयास करो ।
जय जट्ट नस्ल ।
पगड़ी सम्भाल जट्टा
दुश्मन पहचान जट्टा
दिनेश बैनीवाल(जाटिज्म वाला जट्टा)

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