Tuesday, October 9, 2018

राजस्थानी जाट कठे…..

राजस्थानी जाट कठे…..

शीश बोरलो नासा मे नथड़ी सौगड़ सोनो आज कठे,
कठे पौमचो जाटणी को जाटां रो सवायो काज कठे !

कठे पेमल पनेरां की तेजोजी खरनाल कठै,
कठे राखड़ी जायल की  खिंयाळा को नाम कठे !

गिणता गिणता रेखा घिसगी रामभक्ती री रीस कठे,
मांझवास री जबर जाटणी फूलां री आशीष कठे!

तेजा न मनावता सावण भादवा री मौज कठे,
लावणी री मधुर मनवारां सुरंगो ओ आसौज कठे!

तारां जड़ी चूनड़ल्या बे रंग रातड़ल्या रा फूल कठे,
कठे जाट थ्हारी बातां रे थ्हारा जुग सवाया मान कठे,


रखपुनूं रैशम धागे बंधियाड़ो भाई बहन को हेत कठे,
मौठ बाज़रा सू लदीयौड़ा भादूड़ा रा खैत कठे!

आधी रात तक होती हथाई माघ पौष का शीत कठे,
सुख दःख में सब साथ रेवता बा मिनखा की प्रीत कठे!

जन्मया पैला होती सगाई बा वचना की परतीत कठे,
गाँव गौरवे गाया बैठी दूध दही री बा नौनीत कठे!

दादा को करजौ पोतों झैले बा मिनखा की नीत कठे,
बेटां रा कारज देख मुळकता बापू री वा जीत कठे!!

जाज़म बैठ्या मूँछ मरौड़े अमला की मनवार कठे,
दोगज ने जो फिरतो रैतों भूखों गाजणहार कठे!

काळ पड़ीया कौठार खौलता दानी साहूकार कठे,
सड़का ऊपर लाडू गुड़ता गैण्डा की बै हुणकार कठे!

पतिया सागे सुरग जावती बै सतवन्ती नार कठे,
लखी बणजारो टांडौ ढाळै बाळद को वैपार कठे!

धरा धरम पर आँच आवता मर मिटनै की हौड़ कठे,
सासरै मांय धरम निभायौ बो जाखड़ बीग्गो जाट कठे!

गळियौं में गिरधर ने गावैं बी करमां का गीत कठे,
सत पर सदा ही जान वारी वा जाटां री प्रीत कठे,

बितौड़ा वैभव याद दिलवै लौहागढ और डीग जठे,
अंगरेजां रो शीश झुकायो जाटां रा भचीड़ कठे!

मंडावरिया में तूती बोली लीलण चढी राण जठे,
वीर जाट वचन निभायो गौ न माता जाण जठे!

ठाकरां सामी मूछ मरोड़ता करता छाती वार जठे
नी गुलामी री पीड़ सही बे डाबड़े रा जुंझार कठे!

बरछी भाला ढाल कटारी तोप तमाशा छैल कठे,
गढ दिल्ली म डांडो रोप्यो जवाहर को खैल कठे!

भगत धन्ना रा खेत कठे मोत्यां सरीको धान कठे,
साफो चुनड़ रंगो धरता पंचा रो करता अब मान कठे,

कठे गयौ बौ टिलू बाबौ श्याम धरम सू प्रीत कठे,
कठे राना हरनावां री मूरत धरम री रीस कठे,

हाथी को माथौं छाती झाले बै करणो जाट कठे,
मुगलां न नित नित रूलावतो बौ गौकुलो आज कठे,

तुर्कां ने सबक सिखावण वाळौ सुरजमल सिनसिनवार कठे,
हिंद सिरमौर रो नाम पायो धौलपुर  राणो उदयभान कठे!

बलदेव कठे नाथू कठे परसराम सा सपूत कठे,
करषां म रेवण वाळौ बौ मर्दानौं मान कठे!

नाजोगां रो राज आवियो जाटां रा सिरदार कठे,
बेनिवाळ एकलो ललकारे राज रो सिरताज जठे,

चेत करो रे हेत करो, आपांरो अब राज कठे,
एको नी करियां अब, जाट थ्हारी अब लाज कठे,

‘शैतान ताडा तेजाभक्त’ नितको बोले सुणे जिका जाट कठे,
आंख्या खोल्यां मान मिले, सोवतां रयां मिले ठाट कठे,

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