Friday, December 27, 2019

क्यों भूल गए तुम उनको क्या,वो राजा नाहर सिंह कोई और थे?

Raja Nahar Singh of Ballabgarh the revolutionary who led the revolt of 1857.He ousted Britishers from the area between Delhi and Agra.He stopped the entry of Britishers in Delhi for 7 months.He was caught by Bristishers by treachery and then killed.


कविता-#क्या_वो_राजा_नाहर_सिंह_कोई_और_थे?
रचियता- जयदीप सिंह

बल्लभगढ़ का राजा था जो झट से क्रांति में कूद पड़ा
उसकी तलवारों ने अंग्रेजो को था दिया मुकाबला बहुत कड़ा

बोला भारत भूमि को आजाद कराएंगे इन विदेशी गौरों से
आओ मिलकर दिल्ली पर हमला बोले आकर चारों छोरो से

जो चांदनी चौक पर टूटे फांसी, 57 के सिरमौर थे।
क्यों भूल गए तुम उनको, क्या वो राजा नाहर सिंह कोई और थे?

उसके होते 134 दिन तक,दिल्ली में लगे अंग्रेजो के पांव नहीं
क्योंकि नाहर सिंह की छाती ही तो, थी लोहे की दीवार बनी

है गवाह वो बल्लभगढ़ जहाँ, उसने गौरों के खून से खेली होली थी
चीर गयी थी जो सीना दुष्टों का, वो हर हर महादेव की बोली थी

चारों ओर बस भारत माँ के जयकारों के शोर थे।
क्यों भूल गए तुम उनको क्या वो राजा नाहर सिंह कोई और थे?

वो हारने वाला शेर नहीं था,धोखे से था पकड़ा उसको
झूठे संदेशे से रात अंधेरे में पीछे से था जकड़ा उसको

लाख ही लालच दिए गौरों ने, पर अंग्रेजो से वो रुका नहीं
बोला भारत माँ का बेटा हूँ, कभी दुश्मन के आगे झुका नहीं

स्वाभिमान से जीने वाला था वो उस गुलामी के दौर में।
क्यों भूल गए तुम उनको क्या वो राजा नाहर सिंह कोई और थे?

बीच चौराहे चांदनी चौक पर फांसी उसको तोड़ा था
चिंगारी ये बुझने न देना, यही आखिरी सन्देश छोड़ा था

बोला जिंदा नाहर सिंह से तो मुर्दा ज्यादा ताकतवर होगा
एक मरेगा तो भारत के हर घर में नया नाहर सिंह होगा

क्यों न लिखी ये वीरगाथा जो पल में सबका कलेजा झकझोर दे।
क्यों भूल गए तुम उनको क्या वो राजा नाहर सिंह कोई और थे?

अच्छा खासा राज था उनका, किसी ने हमला बोला नहीं था
फिर भी उसने लड़ी लड़ाई, लालच का कोई झमोला नहीं था

वो मरने के डर से हमें छोड़कर भागा नहीं, यहीं सब कुछ अपना का कुर्बान किया
पूरे भारत में अपने हरियाणा का शान से ऊंचा नाम किया

तब उसने थी तेग उठाई, जब देश पर संकट के बादल घनघोर थे।
क्यों भूल गए तुम उनको क्या,वो राजा नाहर सिंह कोई और थे?

भारत भर में तो दूर की बात,
उस बलिदानी की तो उसके बल्लभगढ़ में भी मूर्ति नहीं लगी है
लगता है अभी भी मेरी भारत माँ गुलाम है और इस देश की जनता नहीं जगी है

देश तो है बहुत बड़ा हरियाणा ने भी उसे भुला दिया
दिल्ली ने उसकी समाधि को ठोकरों में रुला दिया

जो चांदनी चौक पर टूटे फांसी 57 के सिरमौर थे।
क्यों भूल गए तुम उनको,क्या वो राजा नाहर सिंह कोई और थे?





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