Saturday, December 28, 2019

आजाद हिन्द फौज के एक अमर शहीद फौजी की सबसे सुंदर रागनी(हरियाणवी कविता)

आजाद हिन्द फौज के एक अमर शहीद फौजी की
सबसे सुंदर रागनी(हरियाणवी कविता)
बज्र जैसा हृदय करकै पकड़ कालजा थाम लिए
रणभूमि म्हं जां सूं गोरी मेरी राम राम लिए।
देश प्रेम की आग बुरी मनैं पड़ै जरूरी जाणा
घर बैठे ना काम चलै मनैं जाकै देश बचाणा
तेरी नणद का भाई चाल्या पहर केसरी बाणा
मरणा जीणा देश की खातर यो मनैं फर्ज निभाणा
रखणी होगी लाज वतन की प्यारी रट घनश्याम लिए।
बज्र जैसा हृदय करकै पकड़ कालजा थाम लिए
रणभूमि म्हं जां सूं गोरी मेरी राम राम लिए।
सिर फोडू और फुड़वा ल्यूंगा दुश्मन गल्यां भिड़कै
बेशक ज्यान चली जा गोरी ना शीश समझता धड़ पै
दो बट आली रफल कै आगै खड़या रहूंगा अड़कै
रहया जीवंता तो फेर मिलूंगा चाल्या आज बिछड़कै
कर कै याद पति नै गौरी मत रोवण का नाम लिए।
बज्र जैसा हृदय करकै पकड़ कालजा थाम लिए
रणभूमि म्हं जां सूं गोरी मेरी राम राम लिए।
सीना ताण देश की खातिर जो हंस हंस प्राण गंवादे
सीधा रोड़ सुरग का मिलज्या सच्चा धाम दख्यादे
के जीणा सै जगम्हं उनका जो मां का दूध लज्जा दे
धन-धन सै वैं लाल देश पै जो अपणा खून बहादे
तन मन धन सब इसकै हाजर सुण मेरा पैगाम लिए।
बज्र जैसा हृदय करकै पकड़ कालजा थाम लिए
रणभूमि म्हं जां सूं गोरी मेरी राम राम लिए।
कहै मेहरसिंह सब जाणें सैं अकलमंद घणी स्याणी
पतिरूप परमेश्वर हो सै या वेदां की बाणी
दुश्मन का दिया घटा मान थी चूड़ावत छत्राणी
देश की खातर कटा दिया सिर थी झांसी की राणी
कर कर याद कहाणी मतकर दिल नै कती मुलायम लिये
बज्र जैसा हृदय करकै पकड़ कालजा थाम लिए
रणभूमि म्हं जां सूं गोरी मेरी राम राम लिए।
जय हिंद। जय हरियाणा।

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