सन 1733 सूरजमल ने गढ भरतपुर बसाया।।
वीरता धीरता चातुर्य से सबको लोहा मनवाया ।
अजेय योद्धा का परचम विश्व भर में लहराया।।
अजेय योद्धा का परचम विश्व भर में लहराया।।
वो जाट वीर था सदा सर्वधर्म हितकारी ।
हिन्दू मुस्लिम सब प्रजा थी उनको प्यारी ।।
अजेय दुर्ग लोहागढ़ का निर्माण करवाया।।
अब आ गई बागडोर सूरजमल के हाथ।
भरतपुर का हर वासी हो गया सनाथ।।
घनघोर संकट भी डिगा नहीं पाए वीर को ।
सूझबूझ से बदल दिया राज्य की तकदीर को ।।
सन 1748 का ऐतिहासिक था बागडू रण ।।
काम लिया सूरजमल ने बुद्धि चातुर्य क्षण-क्षण।
बागड़ू का वह युद्ध बेमेल था सामने थी सेना भारी।
लेकिन बुद्धि का खेल था,सू रजमल ने बाजी मारी ।।
एक तरफ थे बड़े-बड़े मराठा राजपूत योद्धा।
दूसरी तरफ सूरजमल अकेले ने सब को रौंदा।।
सूरजमल के रण कौशल से हारी बाजी पलट गई।
जाट शेरों से डर के मारे शत्रु सेना पीछे हट गई ।।
ईश्वर सिंह को मिली राजगद्दी और सूरजमल को नाम ।
जाट सेना ने दुश्मन का कर दिया काम तमाम।।
सन 1750 मीर बख्शी को चारों ओर से घेरा ।
दुश्मन के आजू-बाजू में था सूरजमल का डेरा।।
मीर बख्शी मांग रहा था संधि की भीख ।
सब कह रहे थे सूरजमल से ले तू सीख ।।
रुहेलो के विरुद्ध जाटों ने वीरता दिखलाई।
सूरजमल ने बल्लभगढ़ की समस्या सुलझाई ।।
मुगल बादशाह की सेना बड़ी लाचार थी।
वीर सूरजमल की सेना तेजस्वी और खूंखार थी।।
मुगल मराठा संयुक्त सेना आ धमकी थी ।
लेकिन वीर सूरजमल की बुद्धि फिर चमकी थी।।
बुद्धि चातुर्य का उपयोग भरपूर किया ।
दुश्मन को संधि करने को मजबूर किया ।।
मुगल मराठा विशाल सेना काम ना आई।
जाटों ने बुद्धि बल से उन को धूल चटाई।।
भोगी अहमदशाह अब्दाली का जी ललचाया।
उसने आकर दिल्ली में आतंक मचाया ।।
जाट राज्य को लूटने का ख्याल आया।
उसने सूरजमल को कर देने का संदेश भिजवाया ।।
जवाहर सिंह ने अफगान टुकड़ी को हराया ।
अब अब्दाली ने लूटपाट का हुक्म फरमाया ।।
मथुरा में चहुंओर तोपों का धुआं छाया।
अब्दाली सूरजमल के किलों को जीत नहीं पाया ।।
न भेद न कोई जीत का मौका आया ।
उसने हार कर कंधार का मार्ग अपनाया।।
पानीपत की तीसरी लड़ाई 1761 में थी छाई ।
राजपूत देख रहे थे तटस्थ चुपचाप लड़ाई ।।
उनकी विलासिता और दूरदर्शिता आड़े आई ।
वीर सूरजमल ने फिर तलवार चमकाई।।
जाटों की बहादुरी थी दुनिया में छाई ।
शत्रु सेना जाटों की बहादुरी से घबराई ।।
सूरजमल वीर था बड़ा बुद्धिमानी ।
उसने सदा प्रजा की रक्षा की ठानी ।।
सभी धर्म पंथ थे उसके लिए समान।।
नहीं उसने किया किसी का अपमान।।
हर कोई सूरजमल की शरण आया ।
किसी को चौखट से वापस नहीं लौटाया।।
61 में जाटों ने फिर आगरा को जय किया।
वीर गोकुला की शहीदी का बदला लिया ।।
उस जाट वीर सूरजमल ने हर युद्ध जीता था ।
उसके बिना खुद इतिहास का खजाना रीता था ।।
सन 1763 में वह वीर स्वर्ग सिधारा था।
हर इतिहासकार ने उसको पुकारा था ।।
उसका इतिहास विश्व पटल पर छाया था ।
हर कोई उसकी गाथा लिखने को ललचाया था ।।
किसी ने लिखी कविताएं किसी ने गीत।
हजारों संदेश देती है उसकी एक एक जीत ।।
उनकी वीरता कभी शब्दों में सिमट नहीं पाएगी ।
मैंने एक कविता लिखी दुनिया लिखी लिखती जाएगी।।
वीर सूरजमल हिंदुस्तान का आखिरी सम्राट था।
वह शूरवीर बुद्धिमान तेजस्वी जाट था।।
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