Thursday, May 24, 2018

करतार सिंह सराभा


जन्म 24 मई 1896-शहीदी 16 नवम्बर 1915 (फांसी)
दुनिया की किसी भी क्रूर सत्ता के खिलाफ अपनी मात्र भूमि के लिए यलगार करने वालो में सबसे कम उम्र में शहीद होने वाला सूरमा 19 वर्ष में फासी पर झूलने वाला

यूनाइटेड नेशन के रिकोर्ड में दर्ज करतार सिंह ग्रेवाल इनका जन्म 1896ई. में जिला लुधियाना पंजाब के सराभा गाँव के जाट सरदार मंगल सिंह के घर हुआ था ।ये अपने माता पिता की अकेली औलाद थे इनका बचपन बड़े लाड प्यार और सुख सुविधाओ के बीच बीता था ।ये अपनी किशोर अवस्था में ही अमेरिका पहुच गए थे ये वहा जाकर गदर पार्टी के मुख पत्र का संचालन कर रहे थे ।
ये प्रेस का हैंडल चलाते थे और खुद का गीत गुनगुनाते थे
"देश सेवा दी जिंदडिये बड़ी औखी ,
गल्ला करनीया ढेर सुखल्लिया ने
जिन्हाने देश सेवा विच पैर पाया
उन्हाने लख मुसीबत झेल्लिया ने ,
यह गदर पार्टी का मुख पत्र निकालते अमेरिका में भारतीय मजदूरों को आजादी का सबक पढ़ते थे यह कार्य केवल इन्होने 17 वर्ष की आयु में कर दिखाया था ।
इन्होने कक्षा चार गाँव के स्कूल से तथा नौवी लुधियाना के खालसा हाई स्कूल ,मैट्रिक अपने चाचा के पास उडीसा में पास की थी सन 1910-11 में ये पढने के लिए अमेरिका चले गए थे ।
उसी समय इन्होने सेन फ्रांसिस्को में युगांतर आश्रम की स्थापना की जहा से गदर समाचार व् पुस्तके निकाली ,
उसी समय फरवरी 1914 में प्रथम विश्व युद्ध शुरू हो गया तो इन्होने गाना शुरू किया
देश नू चल्लो देश नू चल्लो
देश मंगदा ऐ कुरबानिया
चलो चल्लिये देशनू युद्ध करण
एहो आखिरी वचन ते फरमान हो गए
उसी समय मराठा पिंगले जी से इनकी मुलाक़ात दिसम्बर 1914 में हुई और ये भारत आ गए ।पंजाब में इन्होने गाँव गाँव जाकर युवाओ को गीत गाकर भाषण देकर देश की आजादी के लिए तैयार करते थे
इस काम के लिए इन्हें धन की आवश्यकता पड़ी तो इन्होने अंग्रेज अधिकारी व् साहुकारो को लूटना शुरू किया ।
आखिर में सरगोधा में इनको गिरफ्तार किया गया मुकदमा चला जज ने लिखा , " he is one of the most important of those 61 accused,and has largest dossier of train aff. There is practically on department of this conspiracy in America ,on the voyage and in the India in which this accused has not played his part .
और करतार सिंह के वयान दर्ज नही किये गए ।
करतार सिंह ने कहा मुझे उम्र कैद या फ़ासी की सजा से बढ़कर और कोई सजा तुम नहीं दे सकते ।
लेकिन में फासी चुनुँगा जिस से मेरे चाहने वालो और देश प्रेमियों में क्रांति की लहर दौड़ जाये ।
किसी ने करतार सिंह की वीरता को सही शब्द नहीं दिए जज ने लिखा था "He is a young man ,no doubt,but he is certainly on of the worst of these conspirators ,and is a thoroughly callous scoundrel,proud of this es-polites ,to whom no merge ,whatever can be or should be slow .
जज ने इनको मृत्यु दंड की सजा दी ।जब यह जेल की कोठरी में बंद थे तो इनके दादा जी इनसे मिलने आये और बोले जिनके लिए तुम मर रहे हो वो तुम्हे गालिया दे रहे है करतार सिंह ने कहा दादा जी अमुक आदमी कहा हे जवाब मिला प्लेग से मर गया , करतार ने फिर पुछा फला व्यक्ति का क्या बना ? दादा जी बोले हैजे से मर गया ।करतार बोले की क्या आप चाहते है की में बिस्तर पर सड़कर मरू क्या उस मौत से यह मौत अच्छी नहीं ?????
करतार सिंह सराभा ।
16 नवम्बर 1915 को इनको फासी दे दी गयी ।
पगड़ी सम्भाल जट्टा
दुश्मन पहचान जट्टा
कलम उठा जट्टा
अपनों को पहचान दिला जट्टा
जय जाट पुरख
दिनेश बैनीवाल(जाटिज्म वाला जट्टा)

No comments:

Post a Comment

डाबड़ा कांड के शहीद

#अमर_शहीदों_को_नमन्                                           13मार्च 1947का दिन था।जगह थी नागौर जिले की डीडवाना तहसील में गांव डाबड़ा!एक कि...