रामदान डऊकिया है मालाणी के सिरमौर।
हमेशा याद रहेगा इतिहास का वह दौर।।
तेजाराम के घर एक वीर ने जन्म पाया।
वह इतिहास में राम दान कहलाया।।
15 मार्च 1884 का दिन निराला था।
वह वीर भविष्य में क्रांति लाने वाला था।।
सभी ने मिलकर खुशियां मनाई।
सबसे खुश थी जन्मदात्री दौली माई।।
मालाणी का गांव का था सरली।
जिसने बदलाव की हुंकार भर ली।।
रामदान के तन का तेज और ओज।
बढ़ता चला जा रहा था रोज।।
पिताजी के निधन का गम था ।
निर्धनता का कहर कहाँ कम था ।।
रामदान को परख रहा हर पल था।
उनका सपना पवित्र और उज्ज्वल था ।।
उन्होंने हर संकट को झेला था ।
वक्त भी उनके साथ खूब खेला था।।
उनको हराना इतना आसान न था ।
सरलता की मूर्ति को इतना गुमान न था।।
रेलवे की नौकरी और कौम की जिम्मेदारी।
कौम थी उन्हें प्राणों से भी प्यारी।।
जोधपुर में हुई जाट वीरों से मुलाकात।
कौम के लिए स्वर्णिम थी वह रात।।
मिशन था घर-घर हो ज्ञान का उजास।
नेक इरादा और श्रेष्ठ था विश्वास ।।
ज्योति ज्ञान की फैली थी चहुँओर ।
अज्ञान अंधेरा भगाने आई थी भोर।।
मारवाड़ में जगह-जगह खुले छात्रावास।
तेजी से फैल रहा था शिक्षा का उजास ।।
30 जून 1934 का दिन मालाणी के नाम।
शुरू हुआ जाट बोर्डिंग बाड़मेर का काम।।
मूलचंद जी के हाथ हुआ था शुभारम्भ ।
शिक्षा के लिए था यह महान कदम।।
आईदान जी ने किया सहयोग भरपूर ।
ज्ञान का प्रकाश फैला था दूर-दूर।।
समाज से कुरीतियों को दूर करवाया था।
किसान हितेषी बाबा घर घर आया था ।।
नशा मुक्ति का पुनीत अभियान चलाया था।
लोगों को एकता का पाठ पढ़ाया था।।
सामाजिक बुराइयों को दूर भगाया था ।
मृत्युभोज निवारण अधिनियम पारित करवाया था ।।
मालाणी उनको कभी भूल नहीं पाएगा ।
उनका जीवन सदैव प्रेरणा देता जाएगा ।।
उनका योगदान शब्दों में कभी बंध नहीं पाएगा ।
उनका जलाया दीपक सदैव ज्योति फैलाएगा।।
सदैव अमर रहेगा उनका यशोगान ।
मालाणी को किया था प्रकाशमान।।
हमेशा याद रहेगा इतिहास का वह दौर।।
तेजाराम के घर एक वीर ने जन्म पाया।
वह इतिहास में राम दान कहलाया।।
15 मार्च 1884 का दिन निराला था।
वह वीर भविष्य में क्रांति लाने वाला था।।
सभी ने मिलकर खुशियां मनाई।
सबसे खुश थी जन्मदात्री दौली माई।।
मालाणी का गांव का था सरली।
जिसने बदलाव की हुंकार भर ली।।
रामदान के तन का तेज और ओज।
बढ़ता चला जा रहा था रोज।।
पिताजी के निधन का गम था ।
निर्धनता का कहर कहाँ कम था ।।
रामदान को परख रहा हर पल था।
उनका सपना पवित्र और उज्ज्वल था ।।
उन्होंने हर संकट को झेला था ।
वक्त भी उनके साथ खूब खेला था।।
उनको हराना इतना आसान न था ।
सरलता की मूर्ति को इतना गुमान न था।।
रेलवे की नौकरी और कौम की जिम्मेदारी।
कौम थी उन्हें प्राणों से भी प्यारी।।
जोधपुर में हुई जाट वीरों से मुलाकात।
कौम के लिए स्वर्णिम थी वह रात।।
मिशन था घर-घर हो ज्ञान का उजास।
नेक इरादा और श्रेष्ठ था विश्वास ।।
ज्योति ज्ञान की फैली थी चहुँओर ।
अज्ञान अंधेरा भगाने आई थी भोर।।
मारवाड़ में जगह-जगह खुले छात्रावास।
तेजी से फैल रहा था शिक्षा का उजास ।।
30 जून 1934 का दिन मालाणी के नाम।
शुरू हुआ जाट बोर्डिंग बाड़मेर का काम।।
मूलचंद जी के हाथ हुआ था शुभारम्भ ।
शिक्षा के लिए था यह महान कदम।।
आईदान जी ने किया सहयोग भरपूर ।
ज्ञान का प्रकाश फैला था दूर-दूर।।
समाज से कुरीतियों को दूर करवाया था।
किसान हितेषी बाबा घर घर आया था ।।
नशा मुक्ति का पुनीत अभियान चलाया था।
लोगों को एकता का पाठ पढ़ाया था।।
सामाजिक बुराइयों को दूर भगाया था ।
मृत्युभोज निवारण अधिनियम पारित करवाया था ।।
मालाणी उनको कभी भूल नहीं पाएगा ।
उनका जीवन सदैव प्रेरणा देता जाएगा ।।
उनका योगदान शब्दों में कभी बंध नहीं पाएगा ।
उनका जलाया दीपक सदैव ज्योति फैलाएगा।।
सदैव अमर रहेगा उनका यशोगान ।
मालाणी को किया था प्रकाशमान।।
great work click here for josaa 2020
ReplyDelete