Wednesday, May 16, 2018

ब्राह्मणवाद की धूर्तता

 
पिछले साल खरनाल का तेजादशमी मेला राजनीतिक भाषण का झंडुबाम बना और अनुयायी जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे तभी तेजाजी के तथाकथित चमत्कारों की प्रशस्तियाँ दिलों से निकलकर राजनीति के संग्रहालयों में पहुंच गई थी👌
जाट समाज धार्मिक कभी रहा ही नहीं इसलिए ब्राह्मणवाद की धूर्तता को गोदी में बैठाकर जाटों ने जनाजा निकाल दिया था!जाट कौम उत्सवों की भूखी है,जाट कौम मनोरंजन तलाश रही है।किसी भी तथाकथित धर्म को जाटों के हवाले करके देख लीजिए।तेजाजी को चमत्कारिक घोषित करने की आस में घुसे थे और सपना चौधरी की फूहड़ता लेकर निकल रहे है।यकीन न हो तो तेजाजी के नाम पर होने वाली भजन संध्याओं का नजारा देख लीजिए
👌
मैँ तो मानता हूँ कि संघी अपनी दुकानें जाटों की बस्तियों में कभी नहीं खोल पाएंगे!जाटों की एक ही कमजोरी है कि वो देना जानते है जबकि समय देने के साथ-साथ वसूलने का भी है।कर्म करते रहो फल की इच्छा मत करो इस गीता के वाक्य को इस देश मे सिर्फ जाटों ने ही अपनाया है!जिस दिन जाट अपने कर्मों का हिसाब मांगने लग जायेगा उसी दिन देश से ब्राह्मणवाद उल्टे पैर लौटना शुरू हो जायेगा👌
राजस्थान में तो मुख्यतौर पर पाखंड को कंधों पर उठाकर घूमने वाली कौम जाट ही है।मारवाड़ के जाट एक तरफ तेजाजी को आगे करके खेल रहे है तो दुसरीं तरफ दलितों के साथ मिलकर रामदेवरा को सामंतों का अड्डा बना रहे है!
झालर शंख-नगाड़ा बाजे रे,सालासर रे मंदिर में हनुमान बिराजे रे....गाते हुए हरियाणा वाले भी कम योगदान नहीं दे रहे है😇😇😇
म्हारे वास्ते तेजाजी व रामदेवजी ही बहुत है हरियाणा वालों ! सालासर को तुम्हारे यहां शिफ्ट कर लो😊
बात ब्राह्मणवाद की है और ब्राह्मणवाद हमे बर्बाद तो कर रहा है लेकिन आबाद तो हमारे चंगुल में आकर ब्राह्मणवाद भी नहीं हो रहा है!लालसा लट्ठ के हवाले होकर मरेगी देख लेना🤗🤗🤗
अंत मे राजस्थान के जाट युवाओं को कहना चाहता हूँ कि खुद बर्बाद होकर ब्राह्मणवाद के चटकारे लेना भी जायज नहीं है!मनोरंजन के आजकल बहुत से माध्यम है।तेजाजी के विचारों को दिमाग मे डालो और शाम को भजन संध्याओं में आ रही फूहड़ता को रोको👌
प्रेमाराम सियाग 

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