नाम है अनिता कुंडू
हरयाणा के एक साधारण से जाट परिवार में जन्मी मगर अपने बुलंद हौंसले से संसार ती उन ऊंचाईयों को छू लिया जहां पहुंचते पहुंचते इंसान तो क्या फरिश्तों की भी रूह जम जाये।
इस बहिन ने दो बार एवरेस्ट फतह कि हे एक बार नेपाल कि ओर से व दुसरी बार चीन की तरफ से।
बहन वर्तमान में हरयाणा पुलिस मे कार्यरत हेै।
इस बहन कि सादगी देखिए ये एक गरीब किसान परिवार से थी ओर आज SI पद पर कार्यरत हेै। लेकिन ये आज भी उसी सादगी से जिन्दगी जीती हे जैसे पहले जीती थी।
किसी प्रकार का कोई घमण्ड नही हेै। खुद रोटियां बनाती हे,खुद खेत मे काम करती हेै।
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इस बेटी का दर्द हर हिंदुस्तानी तक पहुंचना चाहिए। खास तौर से हरयाणा सरकार तक। एक बेटी जिसने अपने दम पर इतने मुकाम हासिल किये हैं, उसको उसकी बहादुरी का उचित श्रेय मिलना ही चाहिए।
देश की बेटी अनिता कुंडू की कहानी, उसी की जुबानी:
ये ख़ाकी वर्दी मुझे बचपन से ही अच्छी लगती थी । बहुत संघर्ष किया इसको पाने के लिए । मुझे गर्व महसूस होता है कि मैं एक ऐसे डिपार्टमेंट में हूं जिसको इंसान भगवान के बाद तुरंत याद करता है । हम भी कोशिश करते हैं कि उनकी अपेक्षाओं पर खरे उतरें । ये एक खूबसूरत प्लेटफॉर्म है, इसके होते हमें भगवान की स्पेशल पूजा, अर्चना करने की जरूरत महसूस नहीं होती । बल्कि इसके माध्यम से हमारे पास अनेकों भले काम करने का सुअवसर होता है । हरपल लोगों के दुखदर्द में खुद को खड़ा पाते हैं, और अगर हमारे प्रयास से किसी के चेहरे पर मुस्कान आ जाये तो इससे बड़ी भक्ति हमारे लिए कोई नहीं !
2013 में जब मैंने नेपाल की तरफ़ से एवरेस्ट फ़तेह किया तो मौजूदा सरकार ने मुझे प्रोबेशनर सब इंस्पेक्टर बनाया । उसके बाद मैंने 2015 में चीन की तरफ़ से भी एवरेस्ट को फ़तेह करने का प्रयास किया पर 26 अप्रेल 2015 को आए एक भयंकर भूकंप ने मेरे क़दमो को रोक दिया । मेरे बहुत सारे साथी इस भूकंप की भेंट चढ़ गए । हमारा अभियान कैंसल कर दिया गया । फ़िर जैसे तैसे मैंने रुपयों का प्रबंध किया और 2017 में निकल गई चीन की तरफ़ से दुनियां की सबसे ऊंची चोटी को छूने । और अनेकों बार मौत को चूमती हुई, आप सबकी दुवाओं की बदौलत आखिर 21 मई 2017 को चीन की तरफ से भी एवरेस्ट पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने में कामयाब हो गई ।
नेपाल और चीन दोनों तरफ से एवरेस्ट को फ़तेह करने वाली हिंदुस्तान की पहली बेटी बनने का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ । हाल ही में (21..मार्च) इंडोनेशिया की सबसे ऊंची चोटी कारस्टेन्स पिरामिड शिखर पर देश का ध्वज लहराया ।
लेक़िन बेटी बचाओ, बेटी बढ़ाओ पे काम करने वाली हमारी सरकार कब अपनी तरफ़ से मुझे मेरा हक़ और मान-सम्मान देती है उसकी मुझे दरकार है ।
बाक़ी आप सभी शुभचिंतकों की तरफ़ से मुझे ये अपार स्नेह, प्रेम, प्यार और जो आशीर्वाद निरन्तर मिलता है इससे बड़ा सम्मान मेरे लिए कोई हो ही नहीं सकता ।
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हरयाणा के एक साधारण से जाट परिवार में जन्मी मगर अपने बुलंद हौंसले से संसार ती उन ऊंचाईयों को छू लिया जहां पहुंचते पहुंचते इंसान तो क्या फरिश्तों की भी रूह जम जाये।
इस बहिन ने दो बार एवरेस्ट फतह कि हे एक बार नेपाल कि ओर से व दुसरी बार चीन की तरफ से।
बहन वर्तमान में हरयाणा पुलिस मे कार्यरत हेै।
इस बहन कि सादगी देखिए ये एक गरीब किसान परिवार से थी ओर आज SI पद पर कार्यरत हेै। लेकिन ये आज भी उसी सादगी से जिन्दगी जीती हे जैसे पहले जीती थी।
किसी प्रकार का कोई घमण्ड नही हेै। खुद रोटियां बनाती हे,खुद खेत मे काम करती हेै।
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इस बेटी का दर्द हर हिंदुस्तानी तक पहुंचना चाहिए। खास तौर से हरयाणा सरकार तक। एक बेटी जिसने अपने दम पर इतने मुकाम हासिल किये हैं, उसको उसकी बहादुरी का उचित श्रेय मिलना ही चाहिए।
देश की बेटी अनिता कुंडू की कहानी, उसी की जुबानी:
ये ख़ाकी वर्दी मुझे बचपन से ही अच्छी लगती थी । बहुत संघर्ष किया इसको पाने के लिए । मुझे गर्व महसूस होता है कि मैं एक ऐसे डिपार्टमेंट में हूं जिसको इंसान भगवान के बाद तुरंत याद करता है । हम भी कोशिश करते हैं कि उनकी अपेक्षाओं पर खरे उतरें । ये एक खूबसूरत प्लेटफॉर्म है, इसके होते हमें भगवान की स्पेशल पूजा, अर्चना करने की जरूरत महसूस नहीं होती । बल्कि इसके माध्यम से हमारे पास अनेकों भले काम करने का सुअवसर होता है । हरपल लोगों के दुखदर्द में खुद को खड़ा पाते हैं, और अगर हमारे प्रयास से किसी के चेहरे पर मुस्कान आ जाये तो इससे बड़ी भक्ति हमारे लिए कोई नहीं !
2013 में जब मैंने नेपाल की तरफ़ से एवरेस्ट फ़तेह किया तो मौजूदा सरकार ने मुझे प्रोबेशनर सब इंस्पेक्टर बनाया । उसके बाद मैंने 2015 में चीन की तरफ़ से भी एवरेस्ट को फ़तेह करने का प्रयास किया पर 26 अप्रेल 2015 को आए एक भयंकर भूकंप ने मेरे क़दमो को रोक दिया । मेरे बहुत सारे साथी इस भूकंप की भेंट चढ़ गए । हमारा अभियान कैंसल कर दिया गया । फ़िर जैसे तैसे मैंने रुपयों का प्रबंध किया और 2017 में निकल गई चीन की तरफ़ से दुनियां की सबसे ऊंची चोटी को छूने । और अनेकों बार मौत को चूमती हुई, आप सबकी दुवाओं की बदौलत आखिर 21 मई 2017 को चीन की तरफ से भी एवरेस्ट पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने में कामयाब हो गई ।
नेपाल और चीन दोनों तरफ से एवरेस्ट को फ़तेह करने वाली हिंदुस्तान की पहली बेटी बनने का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ । हाल ही में (21..मार्च) इंडोनेशिया की सबसे ऊंची चोटी कारस्टेन्स पिरामिड शिखर पर देश का ध्वज लहराया ।
लेक़िन बेटी बचाओ, बेटी बढ़ाओ पे काम करने वाली हमारी सरकार कब अपनी तरफ़ से मुझे मेरा हक़ और मान-सम्मान देती है उसकी मुझे दरकार है ।
बाक़ी आप सभी शुभचिंतकों की तरफ़ से मुझे ये अपार स्नेह, प्रेम, प्यार और जो आशीर्वाद निरन्तर मिलता है इससे बड़ा सम्मान मेरे लिए कोई हो ही नहीं सकता ।
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