Monday, July 9, 2018

फौजी दिनेश बेनीवाल इतिहासकार की कलम ✍✍

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फौजी दिनेश बेनीवाल इतिहासकार की कलम ✍✍

कुछ जाट विरोधी मानसिकता लगी हुई है जो जट्ट नस्ल के बारे में बहुत गलत तरह से अपनी घटिया मानसिकता दर्शाते हैं। उनके लिए एक जबाब है ।

बात तार्किक करूँगा जो सामने है उसकी करूँगा अतीत के भ्रम ओर कल्पनाओ की बात नही करूँगा ।

जाट नस्ल क्या है ये सब जानते है दुनिया में कई देशों में जाट नाम की जगह आबाद है आज भी गूगल करो देखो ।

जट्ट नस्ल के राजे महाराजे तो अनगिनत है नाम लेते थक जाएंगे ।मैं अभी ताजे अतीत की ही बात करूंगा जो सत्य है जिसकी कोई काट नही है भरतपुर ओर लाहौर ये दोनों सल्तनत जट्टो की ताकत का एहसास कराती है ।महाराजा शेर ए पंजाब महाराजा रणजीत सिंह जब तक जिये ।पंजाब अफगान से लेकर दिल्ली तक मिला रहा ।भरतपुर को जाट प्लेटो एशियाई अफलातून महाराजा सूरजमल ने वो ताकत बनाया जिसको मुगल,राजपूत,मराठे,अंग्रेज कोई नही जीत सका ,अजय रियासत रही है भरतपुर ।


पंजाब में मौले जट्टो की जितनीं भी बार आबाद थी ।मुगलो,अफगानों से हमेशा लड़ती रही और अपनी जमीनों पर खुद को आबाद रखा, भारतीय न्यायिक व्यवस्था में वही बार एशोसिएशन ओर उर्दू जुबान आज भी प्रचलित है न्याय व्यवस्था में ,
पंजाब की 12 मिसलों में 10 मिसले जट्टो की थी ।1 मिसल बाद में जट्टो के हाथ मे ओर आ गई थी ।

जाट खाप,पाल पंचायते जिन्होंने उत्तर भारत के हर राजे महाराजे को सैन्य ताकत दी ।भारतीय ग्रामीण समाज को आधुनिक किया ।आपसी विवाद सुलझाए परिवारों को संजोए रखा।

पाणिनि अपनी अष्टध्यायी में लिखते है जट्ट झट संघाते
कई मुगल शासकों की कथाओं में जाट का जिक्र है ।जाट को लड़कर नही जीता जा सकता ।
जाट ततैय्ये के छत्ते की तरह है इनको छेड़कर आप सुकून से नही रह सकते ।
जाट अपने दुश्मन को रुई की तरह धुनते है ।
जाट की जमीन,ओर बेटी पर बुरी नजर डालने पर यमदूत भी नही बच सकता ।

मुगलो ने जट्टो को नही छेड़ा जट्ट शांत रहे ।लेकिन औरंगजेब ने जट्टो पर जजिया कर के साथ किसान कर भी लगा दिया ।जजिया कर ब्राह्मण और जाट समाज से नही लिया जाता था ।जाट की ताकत से डरकर ओर ब्राह्मण बाकि की जातियो को अपने वश में रखते थे। औरंगजेब के किसान कर लगाने पर ओर उसके बाद निरन्तर जो विद्रोह जट्ट नस्ल में पनपा वो अविस्मरणीय है ।
माखन सिंह ठेनुआ,चूड़ामन,खेमकरण सोगरिया,राजाराम जाट,रामकी चाहर,गोकुला जाट,ताऊ मान्ढू जाट,बाबा कान्हा रावत, जट्ट अब्दुल्ला भट्टी,सांदल जट्ट,हदीसी जट्ट,सरदार बघेल सिंह धारीवाल,फुल्ला सिंह सहारण, नबाब कपूर सिंह विर्क,

अंग्रेजो ने बंगाल में 1795 में जाट रेजिमेंट बना दी थी ।जाट की ताकत को देखकर ओर इनके अड़ियलपन,युद्धकौशल,बाहुबल का प्रयोग भारत की सीमा विस्तार में किया ।

प्रथम विश्व युद्ध के बाद ब्रिटिशर्स ने स्टेट प्रोविनेन्स के लिए चुनावो की आज़ादी दी थी ।जिसमे हिन्दू महासभा,मुस्लिम लीग,अकाली दल,कांग्रेस जैसे अनगिनत दल चुनावो में उतरे ।सबसे बड़ा हिस्सा पंजाब प्रोविनेन्स का था जिसमे इन सभी राजनैतिक दलों को धूल में मिलाते हुए जट्टो की जमीदारा लीग जीती ।पंजाब के प्रीमियर मौले जट्ट सिकन्दर हयात खान चीमा बने ।उनके बाद खिजर हयात टिवाणा साहब प्रीमियर बने ।चौधरी छोटूराम ने किसान समुदाय के लिए नए जीवन का शुभारंभ किया ।विरोधियों ने बटवारा करके इस बड़े हिस्से को खत्म कर दिया ।हरयाणा ,हिमांचल अलग कर दिए ।खालिस्तान जैसी साजिस रची ।पंजाब की राजनीति जट्टो से आज भी नही हथिया सके ।कांग्रेस जैसे किले को गिराकर पूरे देश के किसान धड़ों को इकट्ठा करके पहली बार कोई किसान चौधरी चरण सिंह साहब के रूप में देश का प्रधानमंत्री बना ।एक राजनैतिक किरदार बाबा महेंद्र सिंह टिकैत जिन्हें हिंदुस्तान का हर किसान परिवार कभी नही भुला सकता

देश को अंग्रेजो से आज़ाद कराने में अनगिनत जाट यौद्धाओं का अहम योगदान रहा है। 1857 में सबसे पहले शहीद होने वाला एकमात्र राजा नाहर सिंह तेवतिया,चांदनी चौक पर फांसी दी गई ।बाबा शाहमल तोमर,ग़दर के जनक करतार सिंह सराभा, शहीद ए आज़म सरदार भगत सिंह न जाने कितने असंख्य जाट वीर शहीद है नाम लेते लेते थक जाऊँगा ।

जाट 3 देशों के प्रधानमंत्री रहे है ।पाकिस्तान,भारत,फिजी ओर कनाडा भी जल्द इसी सूची में शामिल होने वाला है ।
USA, UK, कनाडा,जर्मनी,न्यूजीलैंड,ऑस्ट्रेलिया में जट्ट सीनेटर ओर कैबिनेट में कब्जा जमा रहे है। दुनिया की सबसे मजबूत कैबिनेट ट्रम्प कैबिनेट में 4 जट्ट पड़े ओहदों पर है ।

आज़ादी से अंग्रेजो की नगरी कलकत्ता के सबसे बड़े सेठ दानवीर चौधरी छाजूराम लाम्बा ने उत्तर भारत के कई हिस्सों में।एजुकेशन सोसाइटी खोली जिनमे कई जाट कॉलेज ,जाट स्कूल शामिल थे ।
यहाँ तक कि बिहार के पटना जिले के चौंडा गांव में 1940 में जाट विद्यालय खोल दिया गया ,जो आज भी विधमान है ।जाट शिक्षा में भी अव्वल दर्जे पर रहा ।

3 नोबल विजेता जट्ट चौधरी अब्दुस सलाम सियाल जट्ट (पाकिस्तान)जिनको रसायन विज्ञान में नोबल मिला। सर थॉमस मान (जर्मनी) को साहित्य में नोबल मिला ।स्वीडन की सरकार की ओर से क्रांतिकारी राजा मुरसान नरेश महेंद्र प्रताप ठेनुआ को नोबल पुरस्कार के लिए चुना गया। ब्रिटिश सरकार ने उनकी नागरिकता ही रद्द कर दी ।बिना स्थाई नागरिकता के राजा साहब को नोबल नही मिल सका ।

वर्तमान में जाट समाज के युवा खेलो में बेमिसाल योगदान दे रहे है। ग्रामीण अंचल से जुड़े ताकत के खेलों में ओलिम्पिक जैसी दुनिया की सबसे कठिन खेल प्रतियोगिता में मैडल ला रहे है। विश्व चैंपियन बन रहे है। सुशील पहलवान,साइना नेहवाल,दारा सिंह,बिजेन्दर सिंह, कबड्डी जैसे परम्परागत खेलो में दुनिया मे कोई भारत की टक्कर नही ले सकता ।एशिया में सब इस बात को मान चुके है।हर तरह के खेलों में विदेशी धरती पर देश की मैडल टैली में आधे से अधिक ताकत जाट नस्ल की होती है ।

शिक्षा में अव्वल आ रहे है। UPSC ,NDA, CDS सभी जगह जाट अपनी मेहनत हुनर काबिलियत को साबित कर रहे है।सिविल सेवा का ये सत्र ओर इस से पिछला सत्र उठाकर देख सकते है।

राजा महाराजा ,क्रांतिकारी,शहीद,खिलाड़ी,उच्च शिक्षा प्राप्त,उच्च रोजगार,तीनो सेनाओं के जनरल,प्रधानमंत्री,सेना का एक बड़ा हिस्सा,देश की कृषि अर्थव्यवस्था में 100%भागीदारी,पशुधन में अव्वल,नोबल विजेता,ओलिंपिक विजेता,विश्व विजेता,विश्व की 7 बड़ी लड़ाइयों में से एक सारागढ़ी के मुख्य बहादुर किरदार,

मैं पूर्ण रूप से व्याख्या भी नही कर पाया लेकिन जो आज वर्तमान में भी हर तरह से हर क्षेत्र में खुद की काबिलियत ताकत में अव्वल है। तो निश्चित ही अतीत में भी ये सुनहरे अक्षरों का इतिहास रहे है ।भले ही वर्तमान की तरह अतीत में भी इनसे जलने वालो की कमी नही रही होगी ।खासकर कलमकार उस वक़्त इनाम के मुताबिक चलते थे। जाट नस्ल का डीएनए अव्वल है जो बोलता है और हर क्षेत्र में कामयाबी के रास्ते खोलता है। जलने वाले जलते रहेंगे। जाट कामयाबी के सफर पर चलते रहेंगे। कुछ मानसिक विकलांग पंजाब के ब्रिटिश गज़ेटियर का हवाला देकर जाट को बदनाम करते है ,जबकिं सबसे ऑथेंटिक मुंबई गजेटियर में जाट को अव्वल लिखा गया है ।पंजाब में ब्रिटिश अधिकारियों का जीना हराम कर रखा था जट्टो ने जिनसे चिढ़कर कुछ अंग्रेज अफसरों ने अपनी भड़ास निकाली थी।

नोट-मैंने अतीत के जाट यौद्धाओं व राजाओं का जिक्र नही किया लेकिन जो आज शक्तिशाली है उनका कल निश्चित ही शक्तिशाली रहा होगा। और आगे भी रहेगा ।बस अपनी परम्पराओ,विरासत ओर जड़ो से जुड़े रहे । जाट नस्ल से अपील है तुम्हारा डीएनए अव्वल है ,इसको बचाओ खेलो व शिक्षा के क्षेत्र में बुलंदियां हासिल करो। और जो मूर्ख जाट नस्ल के लिए अनाप शनाप बोलते है उनको आपकी कामयाबी खुद झुका देगी। किसी को आप गलत मत बोलो क्योंकि मानवता से ऊपर कुछ भी नही है। मानवता ही देशप्रेम की पराकाष्ठा है ।
दिनेश बैनीवाल(जाटिज्म वाला जट्टा)

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