Sunday, September 9, 2018

जाटों की पहचान,चरित्र, स्वभाव और विशेषताएं

जाटों की पहचान, चरित्र, स्वभाव और विशेषताए

जाट जाति का प्रत्येक युवक अपने लम्बे डील डौल, सुन्दर गोरे या गेहुएं चेहरे, घने काले बालों, लम्बी गर्दन, लम्बी सुथरी नाक, काली बड़ी-बड़ी आंखों, चौड़ा माथा, चौड़ी छाती, लम्बी भुजाओं, पतली कमर और रौबीली चाल से भली-भांति पहचाना जा सकता है। जाट का शरीर गठीला, और फुर्तीला होता है। जाटों का स्वभाव बड़ा सरल और दयालु है। किन्तु अन्याय होने पर मनमानी करने में वे अपने प्राणों को भी संकट में डाल देते हैं।
इतिहासकार इन्द्र विद्यावचस्पति ने लिखा है कि जाटों को प्रेम से वश में करना जितना सरल है, आंखें दिखाकर दबाना उतना ही कठिन है। गिड़गिड़ाते हुए शरणागत शत्रु की दीन वाणी जाट के भयंकर क्रोध को क्षणभर में शान्त कर सकती है।

डाक्टर विटरेटन ने लिखा है कि जाटों में चालाकी और धूर्तता, योग्यता की अपेक्षा बहुत ही कम होती है। वे स्वामीभक्त और साहसी होते हैं। कालिकारंजन कानूनगो के शब्दों में जाट सच्चे भारत-पुत्र हैं। वे खेती करने और तलवार चलाने में एक बराबर रुचि रखते हैं। इनके एक हाथ में हल तथा दूसरे हाथ में तलवार रहती है। परिश्रम और साहस में भारत की कोई भी जाति इनकी तुलना नहीं कर सकती।“जाट बहादुरी के साथ-साथ ईमानदार भी हैं। ये मैदान में मरना जानते हैं।”

(जाटों से प्रभावित होकर मि० एफ. एफ. यांग ने जाटों के लिए कहना पड़ा था)।जाट एक प्रथम श्रेणी का कृषक है जिसने भारत में ही नहीं, किन्तु एशिया व यूरोप के लोगों को भी खेती करना सिखाया। इस बारे में आज भी कहावत प्रसिद्ध है कि “कविता सोहे भाट की, खेती सोहे जाट की।” जाटों की तलवार के भय से यह कहावत प्रसिद्ध है कि “जाट मरयो तब जानियो जब तेरामी हो जाये”।
 जाट मुट्ठी भर चने खाकर महीनों तक शत्रु से युद्ध कर सकता है। इसके अनेक उदाहरण हैं ।

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