"तेजाजी-पेमल : नागवंशों की परस्पर शत्रुता की पृष्ठभूमि में विवाहित युगल की लोकगाथा"
(भाद्रपद शुक्ल पक्ष दशमी, तेजाजी देहावसान दिवस)
(भाद्रपद शुक्ल पक्ष दशमी, तेजाजी देहावसान दिवस)
कहानी हजार साल पुरानी है.
तब राजस्थान के वर्तमान नागौर क्षेत्र के नागाणा प्रदेश के खरनाल गण के जाट शासक बोहित राज धोलिया थे।
उनके पुत्र ताहड़ देव थे.
उनकी पत्नी थीं,
अजमेर के किशनगढ़ के पास त्योद गाँव के गणपति दुलन सोढी की कन्या-
राम कुँवरी.
बचपन में घर पर उन्हें सब सुगणा कहते.
तब राजस्थान के वर्तमान नागौर क्षेत्र के नागाणा प्रदेश के खरनाल गण के जाट शासक बोहित राज धोलिया थे।
उनके पुत्र ताहड़ देव थे.
उनकी पत्नी थीं,
अजमेर के किशनगढ़ के पास त्योद गाँव के गणपति दुलन सोढी की कन्या-
राम कुँवरी.
बचपन में घर पर उन्हें सब सुगणा कहते.
विवाह के 12 वर्ष तक राम कुँवरी के कोई संतान नहीं हुई।
अतः अपने वंश को आगे बढ़ाने के लिए ताहड़ जी के नहीं चाहते हुये भी राम कुँवरी ने अपने पति का दूसरा विवाह कर दिया।
यह दूसरा विवाह रामी देवी के साथ सम्पन्न करवा दिया।
द्वितीय पत्नी रामी के गर्भ से ताहड़ जी के रूपजीत (रूपजी) , रणजीत (रणजी), महेशजी, नगजीत ( नगजी) पाँच पुत्र उत्पन्न हुये।
अतः अपने वंश को आगे बढ़ाने के लिए ताहड़ जी के नहीं चाहते हुये भी राम कुँवरी ने अपने पति का दूसरा विवाह कर दिया।
यह दूसरा विवाह रामी देवी के साथ सम्पन्न करवा दिया।
द्वितीय पत्नी रामी के गर्भ से ताहड़ जी के रूपजीत (रूपजी) , रणजीत (रणजी), महेशजी, नगजीत ( नगजी) पाँच पुत्र उत्पन्न हुये।
राम कुँवरी को 12 वर्ष तक कोई संतान नहीं होने से अपने पीहर पक्ष के गुरु मंगलनाथ जी के निर्देशन में उन्होने नागदेव की पूजा-उपासना आरंभ की।